dahej mukt mithila

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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

मातृभाषा दिवस

   


मैथिलों में भाषा प्रेम किसी भी और क्षेत्र के लोगों से अधिक था। 1900 से ही कविवर चन्दा झा , रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा अंग्रेज़ सरकार के द्वारा दरभंगा महाराज के राजकीय सेवा में उर्दू थोपने के विरोध में विद्यार्थियों ने मैथिली भाषा के पक्ष में आंदोलन किया था। बाद में 1929 में दरभंगा महाराज के प्रयासों से “मैथिली साहित्य परिषद “ की स्थापना हुई जिसके अन्तर्गत मैथिली भाषा के प्रचार प्रसार हुआ ।                        1947 एवं 1950 में जब भारतीय भाषाओं को भारतीय संविधान में जगह दी जा रही थी तब भी मैथिली भाषा भारत सरकार के द्वारा उपेक्षित रही , तब 1950 के दशक से ही मैथिली भाषा के लिए आंदोलन तेज हो गया ।                     दरभंगा महाराज के प्रयासों 1965 में इस आंदोलन ने रफ्तार पकड़ी जब राजकमल चौधरी, हरिमोहन झा, रामवृक्ष बेनीपुरी जी के नेतृत्व में “मिथिला विश्वविद्यालय” की स्थापना हुई । बाद में बिहार के मुख्यमंत्री के साशन काल में स्वर्गीय जगन्नाथ मिश्र जी से आशा बनी की मैथिली भाषा को बिहार की द्वितीय भाषा का सम्मान प्राप्त होगा लेकिन उन्होंने उर्दू भाषा को बिहार के द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जिसके कारण उनका पतन हो गया । यह मैथिली भाषा के इतिहास में सबसे बड़ी असफलता थी ।                                                                                   तीन दशक के करीब लंबे संघर्ष के बाद 2003 में भारतवर्ष के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के द्वारा मैथिली भाषा को संविधान में समाहित किया गया। मैथिली भाषा के आंदोलन में शिला दीक्षित जी का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2008 में मैथिली- भोजपुर अकादमी की स्थापना कर मैथिली- भोजपुरी समुदाय के निवासियों के भाषाई पहचान को संरक्षित करने का कार्य किया । हालांकि आज मैथिली भाषा अपने ऐतिहासिक पतन की ओर अग्रसर है। उसकी भाषाई,सांस्कृतिक अवस्थिति लगभग गर्त में जा चुकी है। अपने सांस्कृतिक इतिहास को भुनाकर चीज़ें चल रही हैं। आज मैथिली भाषा साहित्य के पास दुनिया को देने के लिए कुछ नहीं है। वह ख़ुद दूसरों की ओर उम्मीद से देख रहा है। नकल और सांस्कृतिक पतन मैथिली भाषा के दो सत्य हैं।            मातृभाषा दिवस             

शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

मुसलमान यह मानकर चलता था कि गुंडागर्दी, दंगा फ़साद और क़ब्ज़ेबाज़ी इत्यादि उसका जन्मसिद्ध अधिकार है।



यह फ़ायदा धीरे धीरे अगले 25 वर्ष में बदलकर घाटे का सौदा होता जाएगा।

हिंदू भी 7/8 वर्ष पूर्व तक यह मानकर चलता था।

अब मुसलमानों का संक्रमण (गिरावट) का काल शुरू हुआ है।

इस्लाम के जिस भार से बिना मतलब के हिंदुत्व का स्प्रिंग दबा हुआ था मोदी जी ने आकर उसको एक-एक कर के हटा दिया है।

जो भी परिवर्तन आप देख रहे हैं वह सब मोदीजनित राजनीतिक परिवर्तन है।

राम मंदिर, काशी विश्वनाथ, धारा 370, राष्ट्रीय सुरक्षा, सिटीज़न रजिस्टर, तीन तलाक़ पर रोक, पाकिस्तान को तुरंत ईंट का जवाब पथर से देना, स्वतंत्र विदेश नीति, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, आसाम से लेकर पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में हिंदुवादी सरकारों की वापसी उस क्रांति के बड़े बिंदु हैं।

अजान के बदले हनुमान चालीसा, रामनवमी पर जुलूसों का संचालन, हनुमान जयंती पर मुस्लिम इलाक़ों में भी शोभा यात्रा निकालना। ट्रिपल तलाक़ की समाप्ति, विदेशी संस्थाओं का पंजीकरण रद्द करना, श्रीलंका से ले कर अफगानिस्तान तक की भारत पर निर्भरता उसी परिवर्तन के छोटे छोटे बिंदु हैं।

इस देश में इस्लाम का स्थायी अस्तित्व तभी तक रहेगा जब तक मुसलमान होना फ़ायदे का सौदा होगा।

जैसे जैसे मुसलमान होना घाटे का सौदा होता जाएगा इस्लाम का अस्तित्व हिलने लगेगा।

जिनको देखकर आपको लगता है की ये हिंदुत्व के दुश्मन हैं, वहीं अपना पूर्वजों का हिन्दू DNA याद करके वापस हिंदू होने को तत्पर होंगे।

हमारे ही हिन्दू समाज के स्वार्थी, डरपोक और कुछ मजबूर लोग उधर इस्लाम की तरफ़ गए थे।

फ़ायदा दिखा तो उधर ही टिक गए।

वस्तुतः ये सुविधावादी और डरपोक लोगों का जमावड़ा है। ये आपको हिम्मती लग सकते हैं, पर ये हैं नहीं।

हाँ, ये घात लगाकर हमला करने वाले लोग है। आमने सामने नहीं अपितु भीड़ ईकट्ठा करके लड़ने वाले लोग हैं।

हिंदुत्व किसी भी अनेकतावादी भटकाव से दूर रहा तो यही लोग आपकी तरफ़ वापस आएँगे। फ़िलहाल इनके भीतर की जेहादी आबादी, हिंदुस्तान और हिंदुओं की खुली दुश्मन है।

भय के बिना यह प्रीति योग्य नहीं बनेंगे। यदि यह ये धमकी देते हैं की हमारे 56 देश हैं।

तो यह याद रखिए की इनके सभी 56 देशों की कुल सेना और अस्त्र - शस्त्र अकेले भारत की सेना और अस्त्र-शस्त्र के बराबर के भी नहीं हैं। फिर तो इनके दुश्मन यहूदी और ईसाई भी हैं।

धैर्य रखिए, छोटी छोटी बातों से घबराए नहीं। जो अपने हैं उन्हें और अपना बनाइए।

जिस दिन इस देश में मुसलमान होना एक आशीर्वाद के बजाय मुकम्मल श्राप हो जाएगा, उसी दिन इन्हें अपना हिन्दू DNA याद आएगा।

इसलिए सभी एक रहिए।शक्तिशाली रहिये। वीर हैं और भी वीर और राष्ट्रवादी बने।

यह exact आज की तारीख़ में 21 करोड़ है। और हम हिन्दू, सिख. जैन मिलाकर 112 करोड़ है। चार करोड़ इंसाई भी अपनी हिंदू जड़ों को भूले नहीं हैं। वह भी हमारे साथ ही रहेंगे। इनकी जनसंख्या की बढ़त अब कम होती जा रही है।

हिंदुत्व मे विश्वास और मज़बूत करे। जाती-वाती को तिलांजलि दे दें। सनातन अमर है और अमर रहेगा।

हिंदुओं को जगाने का हम में से हर एक व्यक्ति बीड़ा उठाएं। इस पोस्ट को और इस प्रकार की सभी पोस्ट को अपने सभी मिलने वालों और ग्रुपों में अवश्य ही भेजा किया करें और हिंदू जागरण में अपना सहयोग प्रदान करें।

भारत माता की जय।

वंदे मातरम-जय हिंद।

जयश्रीराम।

धर्म की जय हो अधर्मी का नाश हो। प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो।

वसुधैव कुटुंबकम।