*एक शूद्र की बेटी ने राजपुतों पर लेख लिखा है:----
*मै जाति से हरिजन हूँ मेरा नाम मानसी कुमारी है, और मैं बिहार कटिहार की रहने वाली हूं। गोवा में रहकर software engineering की पढ़ाई करती हूं।* लेकिन आज एक *ठाकुरवादी (राजपूती) पोस्ट* लिख रही हूं।
*राजपूतो के बारे में कहा जाता है:......
*अजी साहब बहुत भेदभाव हुआ दलितों के साथ। उनसे खेतों में काम कराया गया। हरवाही कराई गई। गोबर उठवाया गया। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया।*
*साब बहुत जुल्म हुआ दलितों पे .......
यह बात बहुत जोरों से सोशल मीडिया,मास मीडिया के माध्मय से लोगो को बताई जा रही है।
मगर *1400 साल पहले जब मक्का से इंसानी खून की प्यासी इस्लाम की तलवार लपलपाते हुए निकली तो ......
एक झटके में ही...ईरान,इराक,सीरिया,मिश्र,दमिश्,अफगानिस्तान, कतर, बलूचिस्तान से ले के मंगोलिया और रूस तक *ध्वस्त होते चले गए।*
स्थानीय धर्मों परम्पराओं का तलवार के बल पर लोप कर दिया गया और *सर्वत्र इस्लाम ही इस्लाम हो गया।*
शान से *इस्लाम का झंडा आसमान चूमता हुआ अफगानिस्तान होते हुए सिंध के रास्ते हिंदुस्तान पहुंचा।*
पर यहां पहुंचते ही *इस्लाम की लगाम आगे बढ़ के क्षत्रियों ने थाम ली जिसके कारण भीषण रक्तपात हुआ।*
*आठ सौ साल तक क्षत्रिय राजवंशों से ले के आम क्षत्रियों ने इस्लाम की नकेल ढीली न पड़ने दी।इनका साथ भी दिया जाटों ने,गुज्जरों ने, यादवों ने, ब्राह्मणों ने वैश्यों ने ......*
पर ये लोग फ्रंट लाइनर नही रहे कभी।सिर्फ *आत्मरक्षार्थ डटे रहते थ.!
असली लड़ाई राजपूतो (ठाकुरों) ने ही लड़ी ..!*
एक समय ऐसा आया जब *18 साल से ऊपर के लड़के ही न रहे क्षत्रियों में विधवाओं का अंबार* लग गया। इसी वजह से *सती प्रथा जौहर* जैसी व्यवस्थाएं आकार लेने लगी।
राजपूतानिया खुद आगे बढ़कर *अपने पति,बेटो को युद्ध मे तिलक लगाकर* भेजती थी और *खुद जोहर* करती थी।ताकि *कोई गैर उनके शरीर को हाथ भी न लगा सके।
परिणामतः UP जैसे बड़े राज्य में ये *राजपूत घट के 1 % से भी नीचे* आ गए। जनसँख्या बढ़ने के बाद *अब लगभग 9% तक* पहुंचे हैं। किसी-किसी राज्य में तो इनकी *जड़ ही गायब* हो गई।
जबकि तथा कथित *शोषित वर्ग खुद को 54% बतलाता है ..!
जिसका नतीजा यह हुआ के इस्लाम यहीं फंस के रह गया और आगे नही बढ़ पाया।
परिणामतः-- *चाइना, कोरिया,जापान, नेपाल जैसे भारत के पूर्वी राज्य इस्लाम के हमले से बच गए।*
इतना सब कुछ *झेलने के बाद भी कहीं किसी इतिहास में ये नही मिलेगा, की इस्लाम के खिलाफ लड़ाई में क्षत्रियों ने खुद न जा के किसी और जाति को मरने के लिए आगे कर दिया।*
*बाकी जातियों में जो लड़े वो आत्म रक्षार्थ ही लड़े।*
राजपूत अपने *नाबालिग बेटे कुर्बान करते रहे पर कभी अपने कर्म से विमुख न हुए।* सामाजिक *जातीय वर्ण व्यवस्था का पूरा ख्याल रखा।जिसके वजह से आज की हिन्दू पीढ़ी मुसलमान होने से बची* रह गई।
राजपूतो में आपसी मतभेद होने के वजह से मुसलमानों का भारत पे अधिकार तो हो गया लेकिन 800 सालों में भी भारत को इस्लामिक देश नही बना पाये।
कुछ को छोड़ बाकी पूरा समाज सदा ही इनका ऋणी रहेगा।
बाकी तो *हर जगह राजपूतों को अत्याचारी ही बताया गया है* रही सही *कसर बॉलीवुड ने पूरी कर दी* हर फिल्मों में इन्हें *अत्याचारी ठाकुर दिखा दिखा के लोगो के दिमाग मे इनकी गलत छवि* पेश की गई।
लेकिन ये *नही दिखाया कि जब मुस्लिम तलवारे रक्त मांगती थी तब पहला सिर इन राजपूतानी माँओ ने अपने पति और बेटों* का दिया है। कद्र करो इनकी सभी लोग और अहसान मानो ये न होते तो आज *किसी मस्जिद में नमाज पढ़* रहे होते।
जिनके *दादा परदादा राजपूती तलवार के छत्रछाया में न केवल जिंदा रहे बल्कि अपने धर्म को बचाये रखने में कामयाब रहे आज वही लोग राजपूतों पर जातिवाद का आरोप* लगाते है। इतिहास पता करो राजपूतों को गाली देने से पहले। *हिंदुत्व की रक्षा में इस कौम ने अपनी संतानों की बलि चढ़ा* दी धन्य है वो *राजपूती नारियां।*
धन्य धन्य धरा जंहा की *शक्ति भक्ति* और
*स्वाभिमान कभी बिका नही*
धन्य था वो *शूरवीर राणा* जिसकी
ताकत के आगे *अकबर तक टिका नही।*
क्या *फौलादी सीना था उस राणा* का
*टकराकर तीर सीने में टूट जाते* थे।
*हिनहिनाता था जब चेतक* तो
मुगलों के *छक्के छूट जाते* थे
ऐसा *भगवा उड़ाया राणा ने हल्दीघाटी* में कि *सूर्यदेव भी छिप गए गगन पर*
और *आदमी तो आदमी एक घोड़े* ने
*जान दे दी वतन पर*
धन्य है ऐसे राजपुताना वीरों को जिनके *शब्दकोश में डर शब्द ही नहीं* था।
मेरा हमेशा नमन रहेगा राजपुतो *आपको और आपके वंश* को
राजपूतों ,ब्राह्मणों , जाट , गुज्जर भाइयो बहनों से निवेदन है कि इस पोस्ट को शेयर करके ज्यादा से ज्यादा लोगो तक भेजिये ताकि लोगो को राजपूतों के बलिदान और वीरता से अवगत कराया जा सके और जो लोग कहते है *राजपूतों ने शोषण किया है उनके मुँह पर तमाचा मारा* जा सके।।
🙏सादर🙏
एक सनातनी शूद्र की बेटी