MAITHILI PANCHANG 2021-22
शनिवार, 24 जुलाई 2021
शुक्रवार, 23 जुलाई 2021
टाईम निकाल कर एक बार अवश्य पढ़े
``एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बेडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी। रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते।
राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे। दूर-दूर तक फैली सफ़ेद चादर। अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता हुआ ।
राष्ट्रपति ने पीए को कहा -उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत पूछो।
दो घंटे बाद पीए ने राष्ट्रपति को बताया - सर, वो एक भिखारी है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा -ठीक है, उसे कंबल दे दो।
अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से पर्दा हटाया। उन्हें घोर हैरानी हुई। वो भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है।
राष्ट्रपति गुस्सा हुए और पीए से पूछा - यह क्या है? उस भिखारी को अभी तक कंबल क्यों नहीं दिया गया?
पीए ने कहा -मैंने आपका आदेश सेक्रेटरी होम को बढ़ा दिया था। मैं अभी देखता हूं कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।
थोड़ी देर बाद सेक्रेटरी होम राष्ट्रपति के सामने पेश हुए और सफाई देते हुए बोले - सर, हमारे शहर में हज़ारों भिखारी हैं। अगर एक भिखारी को कंबल दिया तो शहर के बाकी भिखारियों को भी देना पड़ेगा और शायद पूरे मुल्क में भी। अगर न दिया तो आम आदमी और मीडिया हम पर भेदभाव का इल्ज़ाम लगायेगा।
राष्ट्रपति को गुस्सा आया - तो फिर ऐसा क्या होना चाहिए कि उस ज़रूरतमंद भिखारी को कंबल मिल जाए।
सेक्रेटरी होम ने सुझाव दिया -सर, ज़रूरतमंद तो हर भिखारी है। आपके नाम से एक 'कंबल ओढ़ाओ, भिखारी बचाओ' योजना शुरू की जाये। उसके अंतर्गत मुल्क के सारे भिखारियों को कंबल बांट दिया जाए।
राष्ट्रपति खुश हुए। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से परदा हटाया तो देखा कि वो भिखारी अभी तक बेंच पर बैठा है। राष्ट्रपति आग-बबूला हुए। सेक्रेटरी होम तलब हुए।
उन्होंने स्पष्टीकरण दिया -सर, भिखारियों की गिनती की जा रही है ताकि उतने ही कंबल की खरीद हो सके।
राष्ट्रपति दांत पीस कर रह गए। अगली सुबह राष्ट्रपति को फिर वही भिखारी दिखा वहां। खून का घूंट पीकर रहे गए वो।
सेक्रेटरी होम की फ़ौरन पेशी हुई।
विनम्र सेक्रेटरी ने बताया -सर, ऑडिट ऑब्जेक्शन से बचने के लिए कंबल ख़रीद का शार्ट-टर्म कोटेशन डाला गया है। आज शाम तक कंबल ख़रीद हो जायेगी और रात में बांट भी दिए जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा -यह आख़िरी चेतावनी है। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की पर से परदा हटाया तो देखा बेंच के इर्द-गिर्द भीड़ जमा है। राष्ट्रपति ने पीए को भेज कर पता लगाया।
पीए ने लौट कर बताया -कंबल नहीं होने के कारण उस भिखारी की ठंड से मौत हो गयी है।
गुस्से से लाल-पीले राष्ट्रपति ने फौरन से सेक्रेटरी होम को तलब किया।
सेक्रेटरी होम ने बड़े अदब से सफाई दी -सर, खरीद की कार्यवाही पूरी हो गई थी। आनन-फानन में हमने सारे कंबल बांट भी दिए। मगर अफ़सोस कंबल कम पड़ गये।
राष्ट्रपति ने पैर पटके -आख़िर क्यों? मुझे अभी जवाब चाहिये।
सेक्रेटरी होम ने नज़रें झुकाकर बोले: श्रीमान पहले हमने कम्बल अनुसूचित जाती ओर जनजाती के लोगो को दिया. फिर अल्पसंख्यक लोगो को. फिर ओ बी सी ... करके उसने अपनी बात उनके सामने रख दी. आख़िर में जब उस भिखारी का नंबर आया तो कंबल ख़त्म हो गए।
राष्ट्रपति चिंघाड़े -आखिर में ही क्यों?
सेक्रेटरी होम ने भोलेपन से कहा -सर, इसलिये कि उस भिखारी की जाती ऊँची थी और वह आरक्षण की श्रेणी में नही आता था, इसलिये उस को नही दे पाये ओर जब उसका नम्बर आया तो कम्बल ख़त्म हो गये.
नोट : वह बड़ा मुल्क भारत है जहाँ की योजनाएं इसी तरह चलती हैं और कहा जाता है कि भारत में सब समान हैं सबका बराबर का हक़ है।
- किसी ने फ़ॉर्वर्ड किया था अच्छा लगा है इसलिए आपके साथ सांझा कर रहा हूँ।.... इतना फारवर्ड करो की लोगों की आंखें खुल जायें।
जयभारत........
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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021
मत-त्रय-समन्वय
मत-त्रय-समन्वय
(शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और मध्वाचार्य)~~~~~~~~~~
ईश और आत्मा एक ही है.. दोनों चैतन्य(awareness)हैं-शंकर..
ईश और आत्मा में फल और स्वाद की तरह एक्य है तथा दोनों अग्नि और स्फुल्लिंग की तरह हैं तथा दोनों का गुणात्मक अद्वैत तथा मात्रात्मक द्वैत है-रामानुज..
ईश और आत्मा दोनों भिन्न हैं तथा उनमें सेव्य और सेवक के भाव हैं-मध्व..
वेदानुसार, ईश और आत्मा शरीर में सह-अस्तित्व में हैं(द्वा सुपर्णासयुजासखाया..)
गीतानुसार, ईश आत्मायुक्त शरीर में प्रवेश करते हैं(मानुषींतनुमाश्रितम्..)
मानव शरीर में आत्मा ईश से, धात्विक तार में विद्युद्धारा की तरह मिल जाते हैं..
आत्मा(पराप्रकृति) और शरीर(अपराप्रकृति) में प्रकृति के उभयावयव हैं..स्वामी का घर सेवक द्वारा उपयुज्य है..
विद्युत्मय धात्विक तार ही विद्युत है(अद्वैत)..
विद्युत् शक्ति का बड़ा भाग तथा तार छोटा धात्विक भाग है.. ईश आत्मा को आँख की तरह उपयोग करता है(विशिष्टाद्वैत)..
विद्युत एलेक्ट्रोन की धारा तथा तार स्फटिकों की श्रृंखला है और दोनों भिन्न हैं(द्वैतवाद)..
'त्वमेवाहम्'-शंकर का उद्घोष है..
'तवैवाहम्'-रामानुज का उद्घोष है..
'तस्यैवाहम्'-मध्व का उद्घोष है..
विद्युत्धारा और धात्विक तार की उपमा यहाँ सर्वोत्कृष्ट है..
यदि विद्युत् शक्तिगृह में हो और घर में अनेक विद्युत -रहित तार हो तो अद्वैत के अनुसार विद्युत और तार(ऊर्जा और पदार्थ) परस्पर परिवर्तनीय होने के कारण एक ही है.. यदि यह सत्य है तो विद्युतरहित तार में भी झटका देना चाहिए.. विशिष्टाद्वैत के अनुसार, विद्युत और तार अवियोज्य है-यह भी असहज प्रतीत होता है क्योंकि दोनों ही अलग और दूर हैं.. द्वैत के अनुसार विद्युत शक्तिगृह मेहो तथा धात्विक तार यहाँ घर में हो तो दोनों ही भिन्न हैं..
सर्वव्यापी विद्युत और विद्युतीकृत तार व्यावहारिक अर्थ में एकरूप हैं(शंकर)..अ-पार्थक्य के कारण वे एक ही माने जाने योग्य हैं(रामानुज)..
वेद के अनुसार ईश(चैतन्य) श्रृष्टि में प्रवेश किया(तदेवानुप्राविशत्..), किन्तु चैतन्य के सर्वत्र विद्यमान नहीं होने से ईश का प्रवेश आंशिक है.. यदि कोई घर प्रवेश करे तो वह किसी एक भाग में ही उपलभ्य है.. अतस्तु कुछ खास भक्त-जनों के अतिरिक्त,हर जीवात्मा चेतन नहीं है..
ईश चैतन्य के अतिरिक्त 'विशिष्ट ज्ञान से भी चिह्नित है जो सम्बन्धों से सम्बन्धित कहा जा सकता है..
अब समझना है कि तीनों मत एक ही स्थिति के तीन दृष्टिकोण हैं..
विद्युत-प्रबाहित तार को हर व्यवहार में तार कहना क्योंकि छूने पर आघात देता है(शंकर)..
भिन्न होते हुए भी धारा-प्रबाह की दशा में अपृथक नहीं हो सकते(रामानुज)..
शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से हम एलेक्ट्रोन-धारा(विद्युत) को स्फटिक-श्रृंखला(तार) से भिन्न-भिन्न देख सकते हैं(मध्व)..
इस प्रकार तीनों मतों का पारस्परिक सम्बन्ध जो एक दूसरेके विरुद्ध नहीं होते..
पर यदि शक्ति-गृह की शक्ति तथा विद्युतरहित तार के मध्य ये त्रिमत ले आना हास्यास्पद होगा..हाँ, विद्युत के प्रबाह-योग से घर पर रखे तार में तो विजली आ ही सकती है..
ईश और आत्मा दोनों में चेतनता(awareness) है..शंकर कहते हैं-आत्मा ही ईश है.. रामानुज कहते हैं-ईश से आत्मा का पृथकत्व असम्भव है.. मध्व कहतेहैं-गुणात्मक अन्तर से ईश और आत्मा भिन्न हैं..
(भले विद्युत शक्तिगृह में हो,आपके घर के रखे अच्छे तार उच्चात्मा के तथा बोरे बाँधनेवाले तार हीनात्मा के प्रतीक हैं..
तीनों मतों में ईश 'चैतन्य(awareness) है जो ईश और आत्मा में है.. आत्मा ही ईश है(शंकर)..आत्मा से ईश का विलगाव असम्भव है(रामानुज)..भिन्न गुणों वाले होने के कारण ईश और आत्मा पृथक हैं(मध्व)..
मूलाधार यह है कि ईश चैतन्य है, चयनित आत्माओं के लिए.. श्रृष्टि में अक्रिय वस्तुओं में चेतनता नहीं है.. योजक 'ईश' को चैतन्य-तल पर युज्य आत्मा कह सकते हैं जैसे सेववाले को ऐसेव! कहते हैं..
ईश अकल्पनीय है, चेतनता कल्पनीय है.. गीतानुसार, ईश अज्ञेयहै(मां तु वेद न..)वेदानुसार भी अपरिमेय है(नैषा तर्केण..) ईश स्वशक्ति से सोच सकता है तथा उसे चेतनता की आवश्यकता नहीं है.. वह स्वयं चेतनता है..
शंकर कोपूर्वमीमांसकों, नास्तिकों, बुद्धवादियों से कहना पड़ा-आत्मा ईश है.. आत्मा है तो ईश अवश्य है.. परिणाम हुआ कि सभी नास्तिक स्वयं को अस्तित्व-मय मानकर ईश समझने लगे.. इससे नास्तिकों को आस्तिक बनने में सहायता मिली..दूसरे स्तर पर उन्हें अपना 'आत्मा' होना सिखाया गया.. शंकर नेकहा-'ईश्वरानुग्रहादेव..'(ईश बनने हेतु ईशकृपा चाहिए ही..)
मानवान्तरण के अर्थ में शंकर ने आत्मा को ईश कहा..किन्तु विरूपित अर्थ में भी सत्य यह है कि 'प्रत्येक आत्मा को ईश होने का अवसर प्राप्य है'..मानवावतार मात्र ईशेच्छा से सम्भावित होने के कारण 'भक्ति' से सम्भव नहीं है.. भक्ति पर प्रयास अवश्य हो..
रामानुज के समय भक्त-जन मानवावतार हेतु ईशोपासना में लगे थे.. उसने कहा-आप ईश के ही अंश हैं, किन्तु इस सान्त्वना से काम न चला.. अकल्पनीय ईश का कोई ज्ञात भाग(आत्मा) कैसे होगा!..रामानुज ने धीरे धीरे उन्हें शान्त किया कि ईश और आत्मा दोनों चैतन्यमय हैं..
और फिर-मध्व ने बाद में उन्हें ,समझाया कि ईश और आत्मा में द्वित्व है.. आत्मा ज्योंही ईशत्व की कामना करता है, वह भाग्य से विफल हो जाता है.. अतः अपनी ओर से ईच्छा न रखें..
विज्ञान के अनुसार-ईश्वर अकल्प्य है तथा आत्मा कल्प्य स्नायविक ऊर्जा और स।जन का भाग..आकांक्षा-रहित होकर आत्मा का 'ईश' होना सबके हेतु एक मुक्त अवसर है.. अतः, तीनों मत त्रिकालसत्य है, अन्तर मात्र प्रापक की आध्यात्मिक अवस्था की है..
शंकराचार्य को शिव, रामानुजाचार्य को विष्णु तथा मध्वाचार्य को ब्रह्मा स्वरूप स्वीकार करना ही हमारी सहृदयता है..
गुरुवार, 8 जुलाई 2021
नए मंत्रियों को बांटे गए विभाग
अमित शाह को मौजूदा मंत्रालयों के साथ नए बने सहाकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।
पीयूष गोयल से रेल मंत्रालय वापस ले लिया गया। वह वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्रालय संभालेंगे।
अश्विनी वैष्णव अब रेल और सूचना प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे।
स्मृति ईरानी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन की जिम्मेदारी भी दी गई।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की कमान दी गई।
पुरुषोत्तम रूपाला डेयरी और फिशरीज मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे।
अनुराग ठाकुर को खेल और युवक कल्याण मंत्रालय का जिम्मा दिया गया।
गिरिराज सिंह को ग्रामीण विकास मंत्रालय की देख-रेख की जिम्मेदारी दी गई।
भूपेंद्र यादव को श्रम और पर्यावरण मंत्रालय सौंपा गया।
धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम मंत्रालय से हटाकर शिक्षा मंत्रालय सौंपा गया।
हरदीप सिंह पुरी से नागरिक उड्डयन मंत्रालय लेकर पेट्रोलियम, शहरी विकास और आवास मंत्रालय दिया गया।
पशुपति पारस को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
किरन रिजिजू को खेल मंत्रालय से हटाकर संस्कृति मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया।
सर्बानंद सोनोवाल को आयुष मंत्रालय के साथ-साथ उत्तर-पूर्व के मामलों की भी जिम्मेदारी दी गई।
ये हैं 30 कैबिनेट मंत्री
मंत्री मंत्रालय
राजनाथ सिंह रक्षा
अमित शाह गृह और सहकारिता
नितिन गडकरी सड़क परिवहन
निर्मला सीतारमण वित्त एवं कॉर्पोरेट मामले
नरेंद्र सिंह तोमर कृषि एवं ग्रामीण विकास
डॉ. एस. जयशंकर विदेश मंत्री
अर्जुन मुंडा अनुसूचित जनजाति कल्याण
स्मृति ईरानी महिला एवं बाल विकास
पीयूष गोयल वाणिज्य, उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं कपड़ा
धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता
प्रह्लाद जोशी संसदीय कार्य, कोयला और खनन
नारायण राणे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
सर्बानंद सोनोवाल बंदरगाह, पोर्ट, जलमार्ग मंत्री और आयुष
मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक मामले
डॉ. वीरेंद्र कुमार सामाजिक न्याय और अधिकारिता
गिरिराज सिंह ग्रामीण विकास और पंचायती राज
ज्योतिरादित्य सिंधिया नागरिक उड्डयन
रामचंद्र प्रसाद सिंह स्टील
अश्विनी वैष्णव रेल, संचार मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी
पशुपति कुमार पारस खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
गजेंद्र सिंह शेखावत जल शक्ति
किरण रिजिजू कानून और न्याय मंत्री
राज कुमार सिंह बिजली, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा
हरदीप सिंह पुरी पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, आवास और शहरी मामले
मनसुख मंडाविया स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक
भूपेंद्र यादव पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन, श्रम और रोजगार
महेंद्र नाथ पांडेय भारी उद्योग मंत्री
पुरुषोत्तम रूपाला मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी
जी किशन रेड्डी संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र का विकास
अनुराग सिंह ठाकुर सूचना एवं प्रसारण, युवा मामले और खेल
स्वतंत्र प्रभार में अब सिर्फ दो राज्य मंत्री
मंत्री मंत्रालय
राव इंद्रजीत सिंह सांख्यिकी, कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, कॉर्पोरेट मामले
डॉ. जितेंद्र सिंह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग
राज्य मंत्रियों के विभाग
मंत्री मंत्रालय
श्रीपद नाईक बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग और पर्यटन
फग्गन सिंह कुलस्ते स्टील मंत्रालय और ग्रामीण विकास
प्रह्लाद सिंह पटेल जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण
अश्विनी कुमार चौबे उपभोक्ता मामले, खाद्य, सार्वजनिक वितरण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन
अर्जुन राम मेघवाल संसदीय कार्य और संस्कृति
जनरल वीके सिंह सड़क एवं परिवहन और नागरिक उड्डयन
कृष्णपाल गुर्जर विद्युत और भारी उद्योग
रावसाहेब दानवे रेल, कोयला और खनन
रामदास आठवले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
साध्वी निरंजन ज्योति उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, ग्रामीण विकास
संजीव बालियान पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन
नित्यानंद राय गृह
पंकज चौधरी वित्त
अनुप्रिया सिंह पटेल वाणिज्य और उद्योग
एसपी सिंह बघेल कानून और न्याय
राजीव चंद्रशेखर कौशल विकास, उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी
शोभा करंदलाजे कृषि और किसान कल्याण
भानु प्रताप सिंह वर्मा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
दर्शना विक्रम जार्दोश कपड़ा और रेल
वी मुरलीधरन विदेश और संसदीय कार्य मामले
मीनाक्षी लेखी विदेश और संस्कृति
सोम प्रकाश वाणिज्य एवं उद्योग
रेणुका सिंह सरुता जनजाति कल्याण
रामेश्वर तेली पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, श्रम और रोजगार
कैलाश चौधरी कृषि एवं किसान कल्याण
अन्नपूर्णा देवी शिक्षा
ए नारायणस्वामी सामाजिक न्याय और अधिकारिता
कौशल किशोर आवास और शहरी मामले
अजय भट्ट रक्षा और पर्यटन
बीएल वर्मा उत्तर पूर्वी क्षेत्र का विकास और सहकारिता
अजय कुमार गृह
देवुसिंह चौहान संचार
भगवंत खुबा नवीन, नवीकरणीय ऊर्जा, रसायन और उर्वरक
कपिल मोरेश्वर पाटिल पंचायती राज
प्रतिमा भौमिक सामाजिक न्याय और अधिकारिता
सुभाष सरकार शिक्षा
भगवत किशनराव कराद वित्त
राजकुमार रंजन सिंह विदेश और शिक्षा
भारती प्रवीण पवार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
बिश्वेश्वर टुडू जनजातीय मामले और जल शक्ति
शांतनु ठाकुर बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग
महेंद्रभाई मुंजापारा महिला एवं बाल विकास और आयुष
जॉन बरला अल्पसंख्यक मामले
एल मुर्गन मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी, सूचना और प्रसारण
निशीथ प्रमाणिक गृह, युवा मामले और खेल