देश की पुकार
भारत माता की बॅटवारा है जिनकी अभिलाषा में
वो समझेंगे अर्जुन की गांडीव धर्म की भाषा में।
फूल अमन के नहीं खिलते, कायरता के माटी में
नेहरू जी के श्वेत कबूतर मरे पड़े है घाटी में।
दिल्ली वालो!अपने मन को बुद्ध करो या कुद्ध करो
काश्मीर को दान करो या गद्दारो से युद्ध करो।
जेल भरे हम क्यों बैठे है आदमखोर दरिंदो से
आजादी का दिल घायल है जिनके गोरखधंधो से।
घाटी में आतंकवाद का कारक बने हुए है जो
बच्चों की मुस्कानो का संहारक बने हुए है जो।
उन जहरीली नागों को भी दूध पिलाती है दिल्ली
मेहमानो जैसी चिकेन बिरियानी खिलाती है दिल्ली।
जिनके कारण पूरी घाटी जली दुल्हन सी लगती है
पूनम वाली रात चांदनी, चंदग्रहण सी लगती है।
जिनके कारण माँ की बिंदी दाग दिखाई देती है
वैष्णो देवी माँ के घर में आग दिखाई देती है।
उनके पैर बेड़ी जकड़े जाने में देरी क्यूँ है ?
उनके फन पर ऐड़ी रगड़े जाने में देरी क्यूँ है ?
काश्मीर में एक विदेशी देश दिखाई देता है
संविधान को ठुकराता परवेज दिखाई देता है।
वे घाटी में भारत के झंडो को रोज जलाते है
सेना पर हमला करते है, खुनी फाग मनाते है।
हम दिल्ली की ख़ामोशी पर शर्मिदा रह जाते है
'भारत मुर्दाबाद' बोलकर वो जिन्दा कैसे रह जाते है।
सेना पर पत्थरबाजो को कोई इतना समझा दो
ये गाँधी के गाल नहीं है कोई इतना बतला दो।
दिल्ली वालो! सेना को भी कुछ निर्णय ले लेने दो
एक बार पत्थर का उत्तर गोली से दे देने दो।
जब हत्यारे महिमामंडित होते हो, कश्मीर की गलियों में
शिमला समझौता जलता हो, बंदूकों की नलियों में।
तो केवल आवश्यकता है हिम्मत की, ख़ुद्दारी की
दिल्ली केवल दो दिन की मोहलत दे दे तैयारी की।
सेना को आदेश थमा दो, घाटी देर नहीं होगी
जहाँ तिरंगा नहीं मिलेगा, उनकी खैर नहीं होगी।
अब तो वक्त बदलना सीखो, डरते-डरते जीने का
दुनिया को अहसास कराओ, छप्पन इंची सीने का।
राजमहलों के आचरणों की गंध हवा में जाती है
राजा अगर कायर हो तो बिल्ली भी सिंहो को धमकाती है।
सैनिक आने प्राण गवाँकर, देश बड़ा कर जाता है
बलिदानों की बुनियादों पर राष्ट्र खड़ा कर जाता है।
जिनको माँ की बलिदानी और बेटो से प्यार नहीं होगा
उन्हें तिरंगे को लहराने का अधिकार नहीं होगा।
भारत एक अखंड राष्ट्र है, सवा सौ करोड़ की ताकत है
कोई हम पर आँख उठा ले, किसकी भला हिमाकत है।
धरती, अम्बर और समंदर को, यह भाषा समझा दो
दुनिया के हर पंच सिकंदर को, यह भाषा समझा दो।
अब खंडित भारत माँ की तस्वीर नहीं होने वाली
कश्मीर किसी के अब्बा की जागीर नहीं होने वाली।
सौजन्य से :-
चन्दन झा