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शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                         || रमण दोहावली ||
                                     

1. सुख  में  शीतल  होय   कै  ,  दुःख  में  रखिए  धीर ।
"रमण" काल  गति  आय  कै  ,  कब  बदले  तकदीर ।।

2. कल का काम किया नही , आज का कल क्या होय ।
  ऐसो  मानुष  जगत  में , "रमण"  करम  को  रोय ।।

3. "रमण"  जो  संगति  साधिए , दुर्जन  काँटहि  संग ।
    एक  से  सिर  विपदा  परो , एक  से  फाटत  अंग ।।

4. सुख  सबन  को  चाहिए , दुःख  की  लगे न आँच ।
    नहिं वसन्त पतझर बिना , "रमण" कहे जो साँच ।।

5. जो  सम्बन्ध  घनिष्ठ  अति , "रमण"  वही  नासूर ।
    न  संगति  अती  साधिहों  ,  न  जैयो  अती   दूर ।।

6. गीत  प्रीत  मद  मोद  हुनर  ,  शोक  बैर   ब्यापार ।
   "रमण"  छुपाए  छुपे  नही  ,  जेहि  जाने  संसार ।।

7. "रमण" जो छलनी छानि कै , बोले बचन सुजान ।
     निकसे  तीर  कमान  से  ,  बहुरि  न  आबे  बाण ।।

8. लिख  लिख  के  पोथी भई , हुआ न पढ़के ज्ञान ।
     मूरख मन हरि भजन से  ,  हो गया ब्रह्म समान ।।

रचनाकार 
रेवती रमण झा "रमण"


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