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सोमवार, 24 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                         || रमण दोहावली ||
                                      

1. उपर जाके देख लिया , चढ़के चतुर विमान ।
"रमण" कही नहि स्वर्ग रे , नहि तेरा भगवान ।।

2. "रमण" कहे तो झूठ है , और कहे तो साँच ।
औरन आपुन छारि कै , मन की पोथी बाँच । ।

3. मानुष जनम अमोल है , जा घट उपजे ज्ञान ।
  ज्ञान  हीन  संसार  में , पशु  नर  होत  समान ।।

4. एक हलाल मगन में एक , "रमण" देख के दंग।
   होगा   तेरे   साथ   वो , जो   गैरन   के   संग ।।

5. बोली  तो  बेदाम  है , एकहि  बचन  अनमोल ।
हीय  तराजू  तौलि  के ,तू  अपना  मुख  खोल ।।

6. मद  तेरा  किस  काम  का , मद का पूत मतंग ।
 दुर्बल  एक दिन होयगा  , दो दिन का है  जंग ।।

7. राजा   तो   मतिहीन  है  ,  प्रज्ञा  सातिर  चोर ।
मंत्री   बैठा   बावला  ,   खूब   मचाबै    शोर ।।


     8. मुझ से अच्छा बावला , एक मारग को जाय ।
        "रमणहि पंथ अनेक है , जाको बाप न माय ।।

                                   रचनाकार
                         रेवती रमण झा "रमण"
                         mob -9997313751
                                         

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