dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार- रेवती रमण झा "रमण"

                       || रमण दोहावली ||
                                     

1. मरद  बरद  अरु  फावरा , फलिहे  घर  से दूर ।
"रमण" जो मर्दा घर घुसा , विपदा घुसे जरूर ।।

2. सुता  जायेगी  पर  घर ,  सुत से चलिहे वंश ।
कहे  "रमण"  सच नाहि रे , सदा रहूँ निरवंश ।।

   3. रोवे तिरिया सुत सगा , कछु घर कछु शमशान ।
 "रमण" मरैया जो  मुआ , जना  पलट के प्राण ।।

  4. मंत्री    जेहि    घर   तिरिया , नामर्दा   भरतार ।
 "रमण"   तो   राम  भरोसे , सदा  चले   घर द्वार ।।

 5. कोई  बड़ाई न करे , "रमण"  जिया सौ साल ।
 अल्पहुँ  जीवन काल में , करतब किया  कमाल ।।

6. परदादा   दादा  मुआ , मुआ   अरे  अब  बाप ।
"रमण"  बारी  अब  तेरी  ,  धोले  अपना  पाप ।।

7. मालिक जहाँ का एक है  , बसे कोटि मजदूर ।
 "रमण" तुम्हारे पास वो  ,  लगा तुझे क्यो दूर ।।

   8. "रमण" ज्ञान बखान नही , मन का तुच्छ विचार ।
    बुन्द  -  बुन्द  सागर  भरे , जाय  समन्दर  पार ।।

  रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob- 9997313751

कोई टिप्पणी नहीं: