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शनिवार, 15 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                          || रमण दोहावली ||
                                        

1. "रमण" विधाता जो दिया , मुझ पर वही उधार ।
      लिया   कर्ज  टुटा  नहीं , माँगन   को   तैयार ।।

2. झरेजो  पत्ता   देखि कै , दुःख  न  करियो  मीत ।
     जो  आया  वो  जायगा , यही  जगत  की  रीत ।।

3. दुःख  को  आवत  देखि  कै  , मत  रो  मेरे  नैन ।
     सुख  दुःख  की  पहिया  चले , बीतन  दे  तू  रैन ।।

4. और धन कोउ धन नही  , विद्या जगत बलवान  ।
   "रमण"  जो  आबे  जाय  न , बढे  घटे  नहि  मान ।।

 5. बोले   तो   मुख   नीर   रे  ,  ना   बोले   तो   पीर ।
     व्यथित मछली "रमण" मन , सोचत भई अधीर ।।

6. विद्या धन के हु धन नही , "रमण" बटोरिय ज्ञान ।
    चोरी  होय  न  खरच  हो , सदा  बढ़े  धन  मान ।।

7. "रमण" अनुज हो भरत सा  ,  राजा हो श्री राम ।
    संतति  श्रवण  कुमार  सा , बसु  वृन्दावन  धाम ।।

8. सुख  में  शीतल होय के , दुःख  में  रखियो  धीर ।
   "रमण" काल गति आय कै , कब बदले तकदीर ।।

रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
mob- 9997313751

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