dahej mukt mithila

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मंगलवार, 25 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                         || रमण दोहावली ||
                                        


    1. नाहि परखिए  कोऊ घट , मुख करिए अमृत पान ।
       "रमण" कनक घट हो सुरा , जीवन मृत्यु समान  ।।

    2. धन  बल  तन बल रूप बल , इच्छा  मन में नाही ।
        "रमण" विधाता ज्ञान एक  ,  भर देना घट माहि ।।

    3. घट - घट  महिमा राम की , हर घट  रामहि वास ।
        "रमण" तो साधे एक घट , है घट माहि विश्वास ।।

    4. सागर  गागर  दोउ  नहि  ,  ऊँच  नीच  की  बात ।
        एक  भरे  पनिहारीणी , "रमण"  एकै  वरसात ।।

    5. मृत्यु  जनम  जंजीर  है ,  कही  सुबह  तो  शाम ।
        "रमण" भ्रम पथ छारि के , जपिहो राधे श्याम ।।

    6. प्रभु से कछु नहि माँगिए  ,  मानिए उसकी बात ।
        "रमण"  तरसता  बुन्द  को , वो  देते  वरसात ।।

    7. जो सहत वही लहत है  ,  लहत वही जग जीत ।
       बैर - बैर को छारि के , "रमण" राख चित्त प्रीत ।।

    8. जो लिखना था लिख दिया , लिखने से किया होय ।
        रसना व्यंजन नहि चखे , "रमण" स्वाद को खोय ।।

                                 रचनाकार
  रेवती रमण झा "रमण"
mob- 9997313751
   

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