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मंगलवार, 4 सितंबर 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार - रेवती रमण झा "रमण"

                             रमण दोहावली
                                       

       
        1. करे बड़ाई न सुनियो , निन्दा सुनियो कान ।
        "रमण" बड़ाई जो सुना, लिया चित्त अभिमान ।।

        2. चहुँ दिवाली जले दिया , जल गई बाती तेल ।
         फिर अँधेरा छा गया , स्वांस - स्वांस का खेल ।।

        3. पूजा जप तप ध्यान कछु , नहि जानत करतार ।
       "रमण" कर्ज घट केहि विधि , जो कछु होत उधार ।।

        4. तेरा   मेरा   छारि   कै  ,  न   कछू   मेरा   जान ।
         काया माया मोह तजि , "रमण" धरे चित ध्यान ।।

        5. "रमण" यतन कर कोटि रे, न जानेहि जग जीव ।
         जो  जाने  पल  लाग नहि , मुख  अमृत  घट पीब ।।

  6. मुख अमिय घट गरल जेहि,कनक कलश नहिं जान ।
       संगति   उत्तम   साधि   हो , जीवन   ब्रह्म   समान ।।

       7. माथ  कलंक  न  पालिहौ , जो  घातक बहु होय ।
    "रमण" मुअहि तन मुए नहीं , युग-युग अंसुअन रोय ।।

     8. "रमण" ब्रह्म जेहि जानि हौ , घर लगि है शमसान ।
         अहिलौकिक को छारि कै , परलौकिक का ध्यान ।।

     9. गगन   मंडप   में   जा   बसो , मै तो  बाबुल  पास ।
         दिन  तो  काटे  कट  गयो  ,  रैन  पियू  की  आश ।।

                                    रचनाकार
                           रेवती रमण झा "रमण"
                                         

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