|| एक दूजे को पहचानो तुम ||
|| नर - नारी ||
नारी तू स्वर, है नर गीत ।
तुम दोनों के मधुर मिलने से
है बनता संगीत ।। नारी तू...
दिव्य लता का एक कुसुम तू
एक रेशम की डोरी
नील क्षितिज का धवल चन्द्र एक
अवनी एक चकोरी
एक घटा , छिटके एक दामिनि
नभ मंडल सुपुनीत ।। नारी तू....
एक सुधा रस , कणक कलश एक
एक सीप , एक मोती
एक तेल , एक वाती जगमग
जलती जीवन ज्योती
प्यारी जीवन - चक्की चलती
दो पाटन का प्रीत ।। नारी तू....
एक बुन्द स्वाती बन बर्षे
एक चातक तू प्यासा
एक काम की मोहिनी मूरत
एक मोहित अभिलाषा
मानसरोवर के अनुपम
रे युगल हंस, जगजीत ।। नारी तू...
एक मारुति, एक चंदन मलयज
एक उपवन तू सुफला
बट जीवन, बह कलित ललित
एक अविरल शीतल सुजला
एक सुहाग तू एक सुहागन
एक सजनी , एक साजन
क्यो नर जीवन बना अभागा
क्यो तू नारी अभागन
एक दूजे को पहचानो तुम
क्यो तुम हो भयभीत ।। नारी तू...
रचनाकार
रेवती रमण झा " रमण"
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