|| मेरी पलकें पोछ न देना ||
अश्रु बिन्दु ही साथी
मेरी पलकें पोछ न देना ।
मुझसे इसे छीन मत लेना ।।
दो कदम का साथ निभाकर
तुम मेरे जीवन में आकर
मुझ अभागिन को अपनाकर
तुम सुख चैन न खोना ।। मेरी....
कहाँ है मंजिल पता नही है
किसी की कोई खता नही है
इन घावो पर लेप लगाकर
पीर - धीर मत देना ।। मेरी.....
किस्मत ने अग्नि सुलगाई
लपटे बढ़कर पास में आई
मुझे बचाने के पागलपन -
में कोई और जले ना ।। मेरी....
मेरा क्या ! मैतो जी लुंगी
जहर घूंट भी मै पी लूँगी
दम निकले तुम निष्ठुर हो
जो दया-दान मत देना ।। मेरी....
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
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