|| नारी अश्रुपात की पुष्पांजली ||
श्री शारदे ! वरदे दे विकराल माँ ।
आज नारी का पलट दूँ भाल माँ ।।
उठ चले तूफान सागर टूट कर ।
छन्द मेरी लेखनी से फूट कर ।।
पापियों को आज मै ललकार दूँ ।
बन सुदर्शन चक्र उसको मार दूँ ।।
चहुँमुखी सुख-शांति की वंशी बजे ।
आज भारत भूमि यह फिरसे सजे ।।
जो स्वर्ग हो जाये , धरित्री धन्य हो ।
शान्त सु-जीवन , सभी श्री मन्य हो ।।
तुम कृपा ऐसी कर दो भारती ।
सजल दृग की जल रही ये आरती ।।
उर भक्ति - भावो में,भरा विषाद है ।
री ! प्राण न्यौछावर भरा प्रसाद है ।।
यह नारी अश्रुपात की पुष्पांजली ।
आज देने को तुम्हे अबला चली ।।
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
श्री शारदे ! वरदे दे विकराल माँ ।
आज नारी का पलट दूँ भाल माँ ।।
उठ चले तूफान सागर टूट कर ।
छन्द मेरी लेखनी से फूट कर ।।
पापियों को आज मै ललकार दूँ ।
बन सुदर्शन चक्र उसको मार दूँ ।।
चहुँमुखी सुख-शांति की वंशी बजे ।
आज भारत भूमि यह फिरसे सजे ।।
जो स्वर्ग हो जाये , धरित्री धन्य हो ।
शान्त सु-जीवन , सभी श्री मन्य हो ।।
तुम कृपा ऐसी कर दो भारती ।
सजल दृग की जल रही ये आरती ।।
उर भक्ति - भावो में,भरा विषाद है ।
री ! प्राण न्यौछावर भरा प्रसाद है ।।
यह नारी अश्रुपात की पुष्पांजली ।
आज देने को तुम्हे अबला चली ।।
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें