चंदू बाघ की छह माह से नहीं मिली लोकेशन नेपाल में हत्या की आशंकापीलीभीत जिला के जंगलों से सटे ग्रामों के आधा दर्जन गांव वालों को मौत का शिकार करके आतंक का पर्याय बने चंदू बाघ को पकड़कर उसके गले में रेडियो कालर लगाकर दुधवा नेशनल पार्क के जंगल में छोड़ा गया था। लेकिन चंदू बाघ ने दुधवा को अपना आशियाना नहीं बनाया और कुछ दिन बाद वह मोहाना नदी की सीमा पार करके नेपाल घूमने चला गया जहां से गायब हो गया। अब उसकी करीब 6 माह से कोई लोकेशन नहीं मिल रही है। इससे पार्क प्रशासन हड़कंप मचा हुआ है। जबकि अन्य लोग अनुमान लगा रहे हैं कि चंदू नेपाल के तराई इलाका में शिकारियों का निशाना बनकर अपनी जान गवां चुका है। अनुमान है कि शिकारियों ने चंदू की हत्या करने के बाद उसके गले में लगी रेडियो कालर को भी नष्ट कर दिया होगा तभी उसकी लाकेशन नहीं मिल रही है। इससे पार्क प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। अघिकारी पीलीभीत जिला के जंगलों के समीपवर्ती ग्रामों के आधा दर्जन के करीब महिलाओं, पुरूषों को मौत का शिकार करके क्ष्ेत्र में दहशत फैला दी थी। आतंक का पर्याय बन चुके चंदू बाघ को पकड़कर उसके गले में अत्याधुनिक तकनीक वाली सेटेलाइट से जुड़ी रेडियो कालर उसके गले में लगाकर दुधवा नेशनल पार्क के जंगल में भादी ताल के इलाका में छोड़ा गया था। सेटेलाइट से जुड़ी रेडियो कालर से उसकी लगातार निगरानी करने की च्यवस्था की गई थी। कुछ दिन तो उसने दुधवा के जंगल को अपना ठिकाना बनाया। लेकिन चंदू को यह इलाका पसंद नहीं आाया और कुछेक एक महीना वह दुघवा के जंगल में रहा। उसके बाद वह जंगली आशियाना से बाहर निकलकर सूरमा गांव के पास के जंगल से होकर मसानखंभ गांव के निकटवर्ती जंगल में पहुंच गया।इस दौरान उसने कई पालतू पशु और आदमियों को मार कर अपनी मौजूदगी दर्ज करायी। करीब एक माह तक कई गावों के आसपास उत्पात मचाने के बाचंदू भारत और नेपाल की सीमा पर जंगल से सटे गावों के आस-पास अपना उत्पात मचाने कर अपना ू आतंक फैलाने के बाद चंदू अंर्राष्टीय सीमा पर प्रवाहित होने वाली मोहाना नदी को पार करके नेपाल की ओर चला गया। सूत्रों के अनुसार उसकी आखिरी लोकेशन नेपाल में बसंता कारीडोर वनक्षेत्र के पास वाले राजमार्ग के करीबी जंगल में बताई जा रही थी। अब 6 माह से उसकी कोई लोकेशन नहीं मिली रही है। इससे पार्क प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। जबकि लोगों का अनुमान हैं कि चंदू नेपाल के तराई इलाका में शिकारियों का निशाना बनकर अपनी जान गवां चुका है। शिकारियों ने चंदू की हत्या करने के बाद उसके गले में पड़ी रेडियो कालर को कहीं ऐसे स्थान पर छिपा दिया होगा जिससे उसकी लोकेशन न मिल सके यही वजह है कि चंदू की कहीं से कोई भी लोकेशन नहीं मिल रही है। दुधवा नेशल पार्क के उपनिदेशक महाबीर कौंजलागि का कहना है कि हजारों किमी का खुुली सीमा का जंगल है ऐसे में तमाम वंयजीवों का आवागमन लगातार जारी रहता है। किसी दूसरे देश में किसी वंयजीव की सुरक्षा करना नामुमकिन है।यह वहां की सरकार और वन विभाग का अंदरूनी मामला है। हां यह सही है कि करीब 6 माह से चंदू की कोई लाकेशन नहीं मिल रही है। और अंतिम लोकेशन नेपाल में ही मिली थी। अब कहां है इसकी कोई जानकारी नहीं है।
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