।। अश्रुपात ।।
"पुत्री का नाम प्रथम सुनकर"
प्रथम चीख के साथ प्रथम
शिशु क्रन्दन-ध्वनि हुआ प्रथम ।
पुत्री का नाम प्रथम सुनकर
माँ शोकाकुल हुई प्रथम ।।
चंचल पलके स्तब्ध हुई
घोर - घटा छाई दुःख की ।
मुस्कान अधर से गई किधर
लाली चली गई मुख की ।।
ब्रजपात का हुआ घात
शान्ति , चैन के चितवन में ।
दहक उठी जो दावानल
सुन्दर जीवन के उपवन में ।।
गूंज उठी सूने प्रांगण
नवजात शिशु की किलकारी ।
बरस रही वृष्टाग्नि विपिन
जो प्राणान्त प्रलय कारी ।।
प्रमुदित चित दौड़ी दासी
जा ,पितु पूजा के स्थल पर ।
बोली लक्ष्मी घर आई
लाओ बधाई आँचल भर ।।
शिवलिंग सहित इष्ट मूर्ति
पूजासन से फेंक कहा ।
जप पूजा सब हुई बृथा
था ललाट जो , वही रहा ।।
इतना कह पितु मूर्तिमान
बना रहा बुत हिला नही ।
दुर्भाग्य हीन जनी जो थी
उस छाया से मिला नही ।।
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob - 9997313751
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