|| कोजागरा ||
दहिक टाका आइ पठौलनि,
शरद् गगन में उगल चान ,
लाल कका के भरल दलान
परसि रहल छथि छोटका कका,
पान सुपारी आर मखान
भारक भरिया गनि नहि सकलौ
व्यस्त छलौ कोम्हरौ नै तकलौदहिक टाका आइ पठौलनि,
बड़की काकिक टूटल गुमान
शरद......
घर ओसारा भरल मिठाई,
समधिन समधिक भेल बड़ाई
समधिन समधिक भेल बड़ाई
लटहा चूडा पसरल कूड़ा,
बिना सुपारिक लागल पान
बिना सुपारिक लागल पान
शरद......
पान सुपारी आर मखान
मिथिला केर थिक अतेक महान
दुविधान दही अच्छत लय
भैया केर आइ भेल चुमान
शरद......
बरक माय भुजायल तीसी
चित्ती कौडिक चलल पचीसी
समधि समधि में चलल बुझोंअली
दूनू रहला एक समान
शरद......
"रमण" सुमन के सुनू बयान
दूटा फोका भेल मखान
मूँह देखि मुंगवा परसै छथि
मिथिला केर ई थीक विधान
शरद......
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें