|| वेदना ||
किससे कहूँ वेदना जाके
मन की पीड़ा धो लेती हूँ
जो नयन नीर वरसा के ।।
किससे.....
बेटी ये मेरी मजबूरी
मुझमे तुझमे इतनी दुरी
तिल भर जहाँ विवेक नही
फिर क्या होगा समझा के ।।
किससे.....
तेरी कीमत वो क्या जाने
अपनी बेटी को पहचाने
पुरुष-प्रधान,भ्रष्ट ये नगरी
मिथ्या बल पौरुष पाके ।।
किससे.....
उसे पता क्या ? है अभिलाषा
नारी - जीवन की परिभाषा
बेटी तिल - तिल मै तो हारी
मूढो को सब समझा के ।।
किससे.....
हर घर की जो रोती माता
चुप क्यो बैठे भाग्य विधाता
मेरे अपने ही खुश होते
मुझको रे आज जला के ।।
किससे.....
उसका भी होगा मन-मर्दन
नीची होगी उसकी गर्दन
बनेगी अबला रे रण चण्डी
जो घर घर विगुल बजाके ।।
किससे.....
दानव अब भी कहना मानो
उस नारी शक्ति को पहचानो
उस ताप में जाके जलोगे
तुम जीवन से घबरा के ।।
किससे.....
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
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