|| किसका करे कौन खयाल ||
साजन घर सजनी चली ससुराल ।
बिछुरन एक मिलन का प्राङ्गण
मन में है कई सवाल ।। साजन......
पलट के पंथ निहार रही है
स्नेह पूर्ण पुचकार रही है
अरुणि दुहू लोचन बड़ व्याकुल
नारी नयनो का जाल ।। साजन.....
ये कैसा मधुमास मिलन है
खोकर पाना ही जीवन है
पिया का दिल और माँ का आँचल
दोनों रूप विशाल ।। साजन......
माँ अविरल आँसू भर रोती
बेटी तो पर घर की होती
टूटा धैर्य आज आँगन का
किस का करे कौन खयाल ।। साजन ...
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
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