|| पछवा भेल उदण्ड रे ||
गीत
उबलि रहल जेठक दुपहरिया
दिनकर उगल प्रचण्ड रे ।
कोकिल कण्ठक मधुर तान सुनि
पछवा भेल उदण्ड रे ।। कोकिल.......
उठि अन्हरौखे आमक गाछी
मुन्ना बेसि मचान पर ।
पाते - पाते ताकि रहल अई
बम्बई मिसरी खण्ड रे ।। कोकिल......
विडरो नंगटे नाचि रहल अइ
अगणित खेत पथार पर ।
उष्ण बसाते तवठल गिदरा
खींचि रहल सब दण्ड रे ।। कोकिल....
"रमण" चिड़इ बैसल खोंता में
देखू पाँखि पसारि कय ।
जल थल नभचर तड़पि रहल अइ
टूटल सभक घमण्ड रे ।। कोकिल.....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
गीत
उबलि रहल जेठक दुपहरिया
दिनकर उगल प्रचण्ड रे ।
कोकिल कण्ठक मधुर तान सुनि
पछवा भेल उदण्ड रे ।। कोकिल.......
उठि अन्हरौखे आमक गाछी
मुन्ना बेसि मचान पर ।
पाते - पाते ताकि रहल अई
बम्बई मिसरी खण्ड रे ।। कोकिल......
विडरो नंगटे नाचि रहल अइ
अगणित खेत पथार पर ।
उष्ण बसाते तवठल गिदरा
खींचि रहल सब दण्ड रे ।। कोकिल....
"रमण" चिड़इ बैसल खोंता में
देखू पाँखि पसारि कय ।
जल थल नभचर तड़पि रहल अइ
टूटल सभक घमण्ड रे ।। कोकिल.....
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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