|| हे धिया स्वसुर कुल वास करब || " गीत "
मातृ भूमि केर मान राखि
हे धिया स्वसुर कुल वास करब ।
मिथिला केर बेटी सीता केर
गुण ज्ञान सतत चित आहाँ धरब ।।
अमृत मधु सिक्त बचन भाषब
राखब उर मंदिर प्राण पिया ।
निर्धन मुख के ई छुछ बचन
हे ग्रहण करु मिथिलाक धिया ।।
बाबा के पागक लाज धिया राखबै
स्वसुर जी के राखबै शान ।
आहे धिया मिथिला के राखबै मान ।।
नित घर अंगना के नीपि झलकायब
कोमल कर सं पिया के जगायब
देवर दुलरुआ के अँचरा सं पोछब
स्वसुर जी के देब जलपान ।। आहे.....
मधुर बचन आहाँ सदिखन भाषब
नहिरा वियोग सब मोनो ने राखब
सासुर के दुःख धिया मोनो अवधारब
सुख में नै करबै गुमान ।। आहे......
सासु मंडलि घर अंगना में औती
विनु अपराधे जँ सासु बिगड़ती
आहाँ धिया तकरा हँसिकय उरायब
उझट नै करबै जुबान ।। आहें......
उचित बचन के अमल आहाँ करबै
अनुचि बचन चित कखनो नै धरबै
सबहक आज्ञाकारी बनल रहि
देब मंद अधर मुस्कान ।। आहें......
पहिलुक परसि प्रभु भोग लगायब
नित तुलसी तर साँझ देखायब
कुल कलंक रीत मर्यादा
रखबै अतेटा ध्यान ।। आहें.......
कमलक फूल जेकाँ सासुर में रहबै
घरक त्रुटि नै के करौ सं कहबै
"रमण" सुमन दुःख कतबौ पायब
सुमिरब आहाँ भगवान ।। आहें......
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
mo -9997313751
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