|| अहीं अवलम्ब हमर छी ए ||
काली - गीत
काली - गीत
माँ काली कृपा जगदम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।
कयलौ कतेक विलम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।।
जे जे कयलौ , अहीं करयलौ
पाप पुण्य दिश हाथ धरयलौ
हमर कसूर की अम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।। माँ.......
बैसि गेलौ हीय सेवि निरासा
आब अहिंक हमरा अछि आशा
रक्षा करू अविलम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।। माँ.......
"रमण" आहाँक माँ पद पंकज गहि
थाकि चुकल दुःख करुण कथा कहि
भक्त अधम सुत अम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।। माँ.......
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण " ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiO9KfBMnkcnbhbNsWswv5OOnTSltQ0hyphenhyphenU7laTpp7QRFjJjYSlCEc-U9VrdsZ6ai6HBuTUqZJf1lAQD_81c2yXR0tbOC6tQJb34hrhRLQZu7JCGkNExB6bYYABVpTRbSkNc23ycjtIf9xeg/s200/temp_photo.jpg)
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