|| अहीं अवलम्ब हमर छी ए ||
काली - गीत
काली - गीत
माँ काली कृपा जगदम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।
कयलौ कतेक विलम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।।
जे जे कयलौ , अहीं करयलौ
पाप पुण्य दिश हाथ धरयलौ
हमर कसूर की अम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।। माँ.......
बैसि गेलौ हीय सेवि निरासा
आब अहिंक हमरा अछि आशा
रक्षा करू अविलम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।। माँ.......
"रमण" आहाँक माँ पद पंकज गहि
थाकि चुकल दुःख करुण कथा कहि
भक्त अधम सुत अम्ब
अहीं अवलम्ब हमर छी ए ।। माँ.......
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें