|| कुमति हरण करू हे अम्बे ||
बुद्धि बल सबल करू जग जननी
कुमति हरण करू हे अम्बे ।
विद्या बुद्धि विनय वारिधि वर
विश्व विदित छी जगदम्बे ।। बुद्धि.....
चंचल हंस उपर कमलासिनी
सिन्धु मध्य बिचरै छी यै ।
श्वेताम्बर विधु वदन मनोहर
जन मन ज्योति भरैछी यै ।। बुद्धि......
बीच भँवर में उबडुब जीवन
माँ पतवार सम्हारु ने ।
एक आश विश्वास आहाँ के
पातकी जीवन तारु ने ।।
दुर्गम बाट दुसह जीवन अछि
दया दृष्टी माँ डारु यै ।
"रमण" चरण सरसिज चित चारु
भक्त ने अपन बिसारु यै ।।
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
बुद्धि बल सबल करू जग जननी
कुमति हरण करू हे अम्बे ।
विद्या बुद्धि विनय वारिधि वर
विश्व विदित छी जगदम्बे ।। बुद्धि.....
चंचल हंस उपर कमलासिनी
सिन्धु मध्य बिचरै छी यै ।
श्वेताम्बर विधु वदन मनोहर
जन मन ज्योति भरैछी यै ।। बुद्धि......
बीच भँवर में उबडुब जीवन
माँ पतवार सम्हारु ने ।
एक आश विश्वास आहाँ के
पातकी जीवन तारु ने ।।
दुर्गम बाट दुसह जीवन अछि
दया दृष्टी माँ डारु यै ।
"रमण" चरण सरसिज चित चारु
भक्त ने अपन बिसारु यै ।।
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
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