| | पूरब अचल अहिवात मनोरथ ||
" वरसाइत गीत "
सकल सुहागिन वर तर साजल
लाले पहिर पटोर रे ।
पूरब अचल अहिवात मनोरथ
अछि मन मुदित विभोर रे ।।
व्रत पूजा वर निष्ठा सेबल
गाओल मंगल गीत रे ।
रचि सोलह श्रृंगार भव्य वर
चित उमरल अछि प्रीत रे ।।
एक अवला केर आर कियो नै
निज उदगार देखाबू यौ ।
एक हमर अभिलाषा उर में
सदय सुहाग जूडाबू यौ ।।
गंग जमुन जल जाघरि जग में
सबहक अचल सुहाग करु
"रमण" सुहागिन आहाँ के सेवल
अपन कृपा - अनुराग धरु ।।
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें