dahej mukt mithila

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गुरुवार, 10 मई 2018

हे माँ वीणा अपन धरु ।। गीतकार - रेवती रमण झा "रमण"

                    || हे माँ वीणा अपन धरु ||
                                   " गीत "
                                       

हे   माँ    वीणा      अपन   धरु
   स्वरचित       संगीत      शारदा ।
गुंजित          अपन         करू
     हे    माँ    वीणा     अपन   धरु  ।।

नव जन गण मन छन्द तालनव
    जीवन         ज्योति          भरू । 
           नव युग नव ऋत नव जल थल नव      
      कल-कल सृजन करु ।।   हे माँ.....

 विद्या  बुद्धि  विनय  वर वारिधि
 गीता              ज्ञान           धरु
प्रलय   पंथ  मानव  जीवन   जे
   सुललित सुगम करू ।।  हे माँ....

"रमण" चरण-पंकज बहु सेबल
  हमरा          नै            बिसरू
  छोरु अपन  शयन  कमलासन
      सभतरि भ्रमण  करु ।।   हे माँ....

गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "


     

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