|| हे माँ वीणा अपन धरु ||
" गीत "
" गीत "
हे माँ वीणा अपन धरु
स्वरचित संगीत शारदा ।
गुंजित अपन करू
हे माँ वीणा अपन धरु ।।
नव जन गण मन छन्द तालनव
जीवन ज्योति भरू ।
नव युग नव ऋत नव जल थल नव
कल-कल सृजन करु ।। हे माँ.....
विद्या बुद्धि विनय वर वारिधि
गीता ज्ञान धरु
प्रलय पंथ मानव जीवन जे
सुललित सुगम करू ।। हे माँ....
"रमण" चरण-पंकज बहु सेबल
हमरा नै बिसरू
छोरु अपन शयन कमलासन
सभतरि भ्रमण करु ।। हे माँ....
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
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