सुनु योव मिथिलाक लाल कहैछी,
किया अतेक प्रदेश रहैछी ।
मायक आंचर सब दिन भीजैय,
नीत आंहांक बाट जोहैय,
सोंचैय आइ बोवा एता,
खूब कमाक ढोवा लोवता,
पर हम कोड़ी कि करब
आब त" किछ दिम मे हम मरब,
किया नय बाबू घर अबै छी,
सुनु योव मिथिलाक लाल कहोछी,
किया अतेक प्रदश रहै छी॥
बोवा बूच्चि नीत कनैय,
हाटक दिन क" बाट तकैय,
कहैय आई बाबू औता ,
झोरा मे खूब सनेश लोता,
आई त' हम खूब खाएब,
बाबू के संग खेलाएब,
कन्हा प बैस घूमअ जाएब,
सांझ क बोवा खूब कनैय,
कैन्ते-कैन्ते शूईत रहैय,
नीत व वतबे काज करैय,
कीया ओकर बच्पन छिनै छी'
सुनु योव मिथिलाक लाल कहै छी'
कियि अतैक प्रदेश लहै छी॥
शुनूयोव सजनी कि कहैय,
भितरे भितरे उ' घूटैय,
निरजान फोटो सं बात करैय,
बैमान बालम किया नइ अबै छी,
पिया मिलन ले' हम तरसै छी,
सुनू योव मिथिलाक लाल कहै छी,
किया अतैक प्रदेश रहै छी॥
बड कमेलों बड कमेलों ,
कौरी ले मिथिला संन देश गमेलों,
दलानक दिया नित जरैय,
आब नय कियो संगतूरिया बैसैय,
काठक कूर्सि सेहो कनैय,
बूरहः बाबू जी बस मोन रहै य,
मने-मन वहो कनैय,
हे बिधाता आगूक जिनगी कोना जैत,
कि लालक कांधा नसिब नय हैत,
आंहा ले जे खून पसिना बहोलक,
अंगूरी पकैर"क" उ चलोलक,
कन्हा प' बैठा "क' मेला घुऽमोलक,
आइ उ' कान्हा झूइक गेल ,
आंहाक साथ किया छूइट गेल,
कि "ई' सबहक किछ मोल नय छी,
सूनू योव मिथलाक लाल कहैछी,
किया अतैक प्रदेश रहै छी॥
प्रदेशिक दूखक सूनोलों बानी,
नय हम कवि नय कोनो ग्यानी,
टूटल-फुटल श्ब्द के जोइर देब,
किछ गलत कहलों त माफि देब,
दूनू हाथ जोइर प्रथना करैछी,
सूनू यव मिथिलाक लाल कहै छी,
किया अतैक प्रदेश रहै छी"॥?
3 टिप्पणियां:
पवन जी खेकरो लैख साझा केनय बूरी बात नय छो पर ।
वकर नाम हटा क साझा केनाय चोरी कहाय छै।
इ कविता हमर छी ।
बिरेन्र्द मंडल धानूक के यानी हम
भाई हमर कविति अतैक नीक लागल जे ।
चोराईए लेलों पवन जी
कऽकरो लेख साझा केनाय बूरी बात नय छै ।
बूरा छै लैखक के नाम हटेनाय
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