dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 1 जुलाई 2015

हे मिथिला वाशी




































 हे मिथिला माँ व्याकुल छी जे दर्शन पावी,
जखन जखन करि याद आहाँ हम दौरल आबी,
गौरव अईछ संतान आहाँ के छी हे मईया,
दिय वरदान कि जागैथ हमर मैथिल भईया.
बनि थेथर हम सुतल छी जेना होई सरापे,
देखि दशा माँ छी लज्जित हम अपना आपे,
मोनक व्यथा सुनाबी की हम सुनत के मईया,
जकरा केलौ भरोष सेह सब भेल कसईया.
सोची रहल छी हमहूँ माँ बनि जाई जोगारी,
जौं कियो नहला मारई त हम दहला मारी,
करी परपंच सेहो त आहाँ नई सिखेलौ,
आजुक युग में ताई हम बउधा कहाबेलौ.
टूटी रहल अईछ आब हे माँ सहबा के शक्ति,
सब सपुत में जगा दियौ मिथिला के भक्ति,
नई जागब आब अखनो त नई बचत चिन्हाशी,
पंकज करई नेहोरा सुनु हे मिथिला वाशी.
 Pankaj Jha · 

कोई टिप्पणी नहीं: