Sunit Thakur -
माँ जानकी और भगवान श्री राम के विवाह सअ शुरू भेल इ कला ,आब पूरा संसार में प्रसिद्द भअ गेल अछि ! मिथिला के बहुत गाम जेना
राटी,जितवारपुर,मंगरौनी आदि , अहि कला के प्रति समर्पित अछि !पहिने इ कला उच्च जाति के महिला द्वारा दीवार पर कायल जाइत छल ! लेकिन समय के साथ साथ जाति के बंधन टूटल, आ मिथिला पेंटिंग दीवार स कपड़ा और कैनवास पर उतरि गेल अछि ! आजुक आधुनिक युग में अखनो चित्र में भरल गेल रंग , घरेलु चीज़ ,जेना हरैद,केराक पात ,पीपर छाल,दूध,सिन्दूर ,काजर ,हरियर पात आदि सअ बनायल जाइत अछि !
1934 में मिथिला क्षेत्र में एक टा भूकंप आयल छल! तत्कालीन सब - डिविजनल अधिकारी विलियम जे आर्चर अपन पत्नी मिल ड्रेड के साथ क्षेत्र के भ्रमण के दौरान ,ढहल दीवार पर सुन्दर चित्रकारी देखि दंग रहि गेला !विलियम अहि विलक्षण चीज़ के फोटो खींच कअ , लेख व् फोटो के माध्यम सअ पूरा दुनिया के अहि कलाकृति सअ पहिल बेर परिचय करेलैथ ! आजादी के पश्चात भारतीय हस्तकला बोर्ड के निदेशक पुपुल जयकर , मधुबनी भाष्कर कुलकर्णी के भेजी कअ अहि कला के नमूना सब मंगवेलैथ और देश विदेश के प्रतिनिधि सब के देखेलैथ ! मिथिला पेंटिंग के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दियाबय में "ललित नारायण मिश्रा" जीक बहुत पैघ योगदान छैक ! पहिल बेर 1970 में , जगदम्बा देवी के राष्ट्रीय पुरष्कार देल गेल !1975 में जगदम्बा देवी के पद्मश्री और सीता देवी के राष्ट्रीय पुरष्कार देल गेल ! अहि के बाद तअ गंगा देवी, महासुंदरी देवी, गोदावरी दत्त, शांति देवी, विभा दास आदि प्रतिभावान महिला सब के नाम के डंका पूरा दुनिया में बाजय लागल !फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका और जापान में अहि कला के विशेष प्रचार प्रसार भेल !1988 में जापान के हासेगावा में मिथिला लोकचित्र कला म्यूजियम स्थापना भेल !
फ्रांस के विश्वप्रसिद्ध पेंटर "पाब्लो पिकासो" महासुन्दरी देवी के पेंटिंग स प्रभावित भअ हुनका पत्र लिखने रहैथ “लोग हमरा पैघ कलाकार बुझैत छैथ, लेकिन जखन हम अपनेक कला देखैत छी, तअ पाबैत छी कि अहाँ हमरा सअ पैघ कलाकार छी " !
सौजन्य सं- मिथिलाक संस्कृति
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