आऊ सूनु कने बात हमर..... 2
नै पकरू अहाँ कान हमर,
कहै छि हम आई कनी अप्रियगर,
मुदा पिबहे पडत क्रोधक जहर,
अहंकार आ क्रोध के,
कंठे में धरु,
अहाँ आब नीलकंठ बनू,
जेकरा पुजैत एलहूँ सब दिन,
वैह महादेव बनू अहाँ,
ध्यान करू,
कनि ज्ञान करू,
विज्ञानक अहाँ संग धरु,
परंपरा के बुझु अहाँ,
तर्क तथ्य स तौलू अहाँ,
कसौटी पर कसलाक बादे,
ओकरा अहाँ अंगीकार करू,
अंध मोहि ध्रितराष्ट्र जँका,
आ गांधारी ने बनू अहाँ,
हिसाब करू,
कनी विचार करू,
अलग अलग विधा स साक्षात करू,
अध्यन करू,
निर्माण करू,
श्रीजनात्मक्ताक अहाँ आयाम बनू,
तास छोडू,
भाँग छोड़ू,
बिना बात के बात छोड़ू,
अपन बड़ाई के राग छोड़ू,
दलानक बैसार छोड़ू,
राजनीत के कौचर्य छोड़ू,
आब समय नै भोज भात के,
आब समय अई समय संग चलै के,
उच्च अध्यन में पाई लगाऊ,
व्यपार बाणिज्य स हाथ मिलाऊ,
अपन सहजता अपन शरलता,
अपन दर्शन के और बढ़ाऊ,
इतिहास में नै,
आब बर्तमान के,
अपन कर्मठता स सजाऊ,
विज्ञान के ज्ञाता बनू,
दर्शन में छलहूँ अग्रणी,
आब विज्ञानक बारी अई,
पूजा पाठ के विज्ञान स जोरू,
नियम निष्ठा के स्वास्थ्य स जोरू,
तहने टा कल्याण हैत,
जहने पान माछ मखान स उबरब,
खेबा टा के सिर्फ बात ने करब,
साँस साँस में ध्यान करब,
आ बात बात में विज्ञान,
गणित गणित के चर्चा में,
तकनिकक आधुनिकता में,
समय अपन पूरा बितैब,
कनी याद करू,
सीता उठाबै छलीह शिव धनुष,
आ अहाँ दबल छि दहेज़क दुर्बलता स,
गाम गाम नशा में डूबल,
कुंठा के निक्षेप स भरल,
आरोप आ प्रत्यारोप स उबरु,
अपना के अहाँ कला स जोरू,
आब समय विश्रामक नै अई,
आब परिश्रम के अई जरूरत,
जनक के गीते टा नै गाऊ,
फेर जनक जँका विज्ञानक हर चलाऊ.
ज्ञानक मटकुर में सीता निकलतिह,
लक्ष्मी स भरपूर धरती,
राम पुरुषार्थ स्वयं औताह,
सीता के वरन करतामे
कतौ दुख के बास नै हैत,
सबहक मोन निर्मल भ जैत,
माता पिता ने डेरैल रहताह,
बाल बच्चा के पढैल करताह,
गाम गाम में हैत विज्ञानक चर्चा,
हर्षित मोन मे
By Pawan Kumar Jha
नै पकरू अहाँ कान हमर,
कहै छि हम आई कनी अप्रियगर,
मुदा पिबहे पडत क्रोधक जहर,
अहंकार आ क्रोध के,
कंठे में धरु,
अहाँ आब नीलकंठ बनू,
जेकरा पुजैत एलहूँ सब दिन,
वैह महादेव बनू अहाँ,
ध्यान करू,
कनि ज्ञान करू,
विज्ञानक अहाँ संग धरु,
परंपरा के बुझु अहाँ,
तर्क तथ्य स तौलू अहाँ,
कसौटी पर कसलाक बादे,
ओकरा अहाँ अंगीकार करू,
अंध मोहि ध्रितराष्ट्र जँका,
आ गांधारी ने बनू अहाँ,
हिसाब करू,
कनी विचार करू,
अलग अलग विधा स साक्षात करू,
अध्यन करू,
निर्माण करू,
श्रीजनात्मक्ताक अहाँ आयाम बनू,
तास छोडू,
भाँग छोड़ू,
बिना बात के बात छोड़ू,
अपन बड़ाई के राग छोड़ू,
दलानक बैसार छोड़ू,
राजनीत के कौचर्य छोड़ू,
आब समय नै भोज भात के,
आब समय अई समय संग चलै के,
उच्च अध्यन में पाई लगाऊ,
व्यपार बाणिज्य स हाथ मिलाऊ,
अपन सहजता अपन शरलता,
अपन दर्शन के और बढ़ाऊ,
इतिहास में नै,
आब बर्तमान के,
अपन कर्मठता स सजाऊ,
विज्ञान के ज्ञाता बनू,
दर्शन में छलहूँ अग्रणी,
आब विज्ञानक बारी अई,
पूजा पाठ के विज्ञान स जोरू,
नियम निष्ठा के स्वास्थ्य स जोरू,
तहने टा कल्याण हैत,
जहने पान माछ मखान स उबरब,
खेबा टा के सिर्फ बात ने करब,
साँस साँस में ध्यान करब,
आ बात बात में विज्ञान,
गणित गणित के चर्चा में,
तकनिकक आधुनिकता में,
समय अपन पूरा बितैब,
कनी याद करू,
सीता उठाबै छलीह शिव धनुष,
आ अहाँ दबल छि दहेज़क दुर्बलता स,
गाम गाम नशा में डूबल,
कुंठा के निक्षेप स भरल,
आरोप आ प्रत्यारोप स उबरु,
अपना के अहाँ कला स जोरू,
आब समय विश्रामक नै अई,
आब परिश्रम के अई जरूरत,
जनक के गीते टा नै गाऊ,
फेर जनक जँका विज्ञानक हर चलाऊ.
ज्ञानक मटकुर में सीता निकलतिह,
लक्ष्मी स भरपूर धरती,
राम पुरुषार्थ स्वयं औताह,
सीता के वरन करतामे
कतौ दुख के बास नै हैत,
सबहक मोन निर्मल भ जैत,
माता पिता ने डेरैल रहताह,
बाल बच्चा के पढैल करताह,
गाम गाम में हैत विज्ञानक चर्चा,
हर्षित मोन मे
By Pawan Kumar Jha
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