कलियुगी - पुत्र"
हे सूर्य मुखी , हे चन्द्र मुखी
छी घर अहाँक जहिना राखी । 2
ई माय हमर जँ किछु बजती
बाबू जँ हमर किछुओ बजता
अहाँ तारन मारन सतत करब
जहिना रखबैंन ओहिना रहता
यै चित उपवन के कुसुम कली
छी मोन अहाँक जहिना भाषी ।।
हे सूर्य...
अहाँ क्रोध करी,अहाँ कलह करी
हन हन पट पट सब ठाम करी
अहाँ गारि पढ़ी , बेबात लरी
अहाँ नाम अपन भरि गाम करी
कलयुगी पुत्र छी हम सजनी
हम सदिख रहब अहिंक साखी
हे सूर्य...
जीवन में अयलौ जहिया सँ
सुख सरिता संगम बहा देलौ
यै कहू कहाँ धरि जुनि पुछु
हम धन्य धन्य श्री मन्य भेलौ
अग्यान अपंगहि हम बैसल
अहाँ "रमण"जीवनक बैसाखी ।।
हे सूर्य...
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
हे सूर्य मुखी , हे चन्द्र मुखी
छी घर अहाँक जहिना राखी । 2
ई माय हमर जँ किछु बजती
बाबू जँ हमर किछुओ बजता
अहाँ तारन मारन सतत करब
जहिना रखबैंन ओहिना रहता
यै चित उपवन के कुसुम कली
छी मोन अहाँक जहिना भाषी ।।
हे सूर्य...
अहाँ क्रोध करी,अहाँ कलह करी
हन हन पट पट सब ठाम करी
अहाँ गारि पढ़ी , बेबात लरी
अहाँ नाम अपन भरि गाम करी
कलयुगी पुत्र छी हम सजनी
हम सदिख रहब अहिंक साखी
हे सूर्य...
जीवन में अयलौ जहिया सँ
सुख सरिता संगम बहा देलौ
यै कहू कहाँ धरि जुनि पुछु
हम धन्य धन्य श्री मन्य भेलौ
अग्यान अपंगहि हम बैसल
अहाँ "रमण"जीवनक बैसाखी ।।
हे सूर्य...
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें