मैं आपलोगों से एक जानकारी लेना चाहता हूं की बिहार में आजतक कहीं भी किसी बांध का मरम्मत कार्य दिसम्बर से पहले पूरा होते देखे हैं ?
अगर नहीं तो क्यों ? सीधा सा जवाब है । बिहार में c का खतरा कुछ भौगोलिक औऱ कुछ सरकार के द्वारा प्रायोजित होता है। ताकि पदधिकारोयों औऱ मंत्रियों की राहत के नाम पर कमाई हो और दूसरी बात की यहां के लोग पिछड़े बने रहें।
चाहे शिक्षा हो या स्वास्थ्य हो या रोजगार हो या फिर बाढ़ या सुखार हो । हर मुद्दे को अगर आप गौर से देखें तो आपको दिख जाएगा कि सरकार आम जनता के लिए फिक्रमंद दिखती जरूर है मगर भीतर से वो इसकी फिक्रमंद होती नहीं । फिक्रमंद होने का नाटक करती है। अगर सही में सरकार इन सब चीजों से बिहार को उबारना चाहती तो एक एक करके पिछले 30 साल में लालू और नीतीश जी सुधार दिए होते। मगर आप देख सकते हैं कि पिछले 30 साल में इन क्षेत्रों की स्थिति पहले से भी खराब हो गयी है।
आज से 15 दिन पहले उत्तरी बिहार के अधिकांश जगह की तालाबों में पानी सूख गया था। चापाकल पानी कम या देना बंद कर दी थी ठीक 15 दिन बाद यह स्थिति है कि जिला का जिला डूब रहा है। आखिर इन समस्याओं का स्थायी निदान क्या कुछ हो ही नहीं सकता या सरकार करना ही नहीं चाहती ?
आपने कभी किसी टूटे हुए बांध का मरम्मत कार्य दिसम्बर से पहले होते देखा है ? कब होगी इसकी मरम्मत ? अब अगले साल बारिस के आने से ठीक कुछ महीने पहले। सरकार जानबूझ कर इन समस्याओं का कभी कोइ स्थाई निदान खोजना चाहा ही नहीं। और निकट भविष्य में चाहेगी भी नहीं। क्योंकि यहाँ न तो कोई मल्टीनेशनल कंपनी है जिसकी फिक्र सरकार को हो। आम जनता की औकात ही कितनी है। वो तो हिन्दू मुस्लिम आगरा पिछड़ा के नाम पर वोट दे हो देगी।
इस बदहाली के जिम्मेदार हम खुद हैं। बरना सरकार की क्या मजाल जो हमारे विकास को रोक ले। हम खुद अपनी विकास अन्य राज्यों में तलाश रहे हैं तो सरकार हमारी क्या खाक मदद करेगी।
अनिल झा
खड़का-बसंत
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