|| कजरी ||
कि आहो रामा सुधियो ने लिहले मुरारी
की मोरा बनवारी ए रामा ।।
नित दिन देखी नीके सपनमा
ठाढ़ पिया छथि बीचे अंगनमा
की आहो रामा सपनो रहय उधारी
ने एला गिरधारी ए रामा ।।
जँ अवलोकी अपन मुख अयना
नव यौवन लखि झहरय नयना
की आहो रामा अँचरा सं बटिया बुहारी
ने ऐला गिरधारी ए रामा ।।
"रमण" फुलायल सुमन आजु अंगना
धिक थिक जीवन, हमर बिनु ललना
कि आहोरामा सबदिन सगुन उचारी
ने एला गिरधारी ए रामा ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
कि आहो रामा सुधियो ने लिहले मुरारी
की मोरा बनवारी ए रामा ।।
नित दिन देखी नीके सपनमा
ठाढ़ पिया छथि बीचे अंगनमा
की आहो रामा सपनो रहय उधारी
ने एला गिरधारी ए रामा ।।
जँ अवलोकी अपन मुख अयना
नव यौवन लखि झहरय नयना
की आहो रामा अँचरा सं बटिया बुहारी
ने ऐला गिरधारी ए रामा ।।
"रमण" फुलायल सुमन आजु अंगना
धिक थिक जीवन, हमर बिनु ललना
कि आहोरामा सबदिन सगुन उचारी
ने एला गिरधारी ए रामा ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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