dahej mukt mithila

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मंगलवार, 16 जुलाई 2019

भावनाक पाँति

                     
                    भावनाक पाँती जे गढ़ल
                                     

मिथिलेश   जी  अपनेक   कविता  पढ़ल ।
भावनाक         पाँती        जे       गढ़ल ।।
घन   घटाक   छटा    आबि   उमड़ि  गेल ।
कल कंठ में कृष्ण भोगक स्वादभरि गेल ।।

रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"

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