|| नचारी ||
भोला कीयक रुसल छी यौ ।
एक अहाँ के ध्यान लगा क
हम बैसल छी यौ ।।
भोला....
रगड़ि रगड़ि नित भाँग घोंटि
भरि लोटा आनि चढ़यलौ ।
आँक धथुर बेलपाते तोरलौ
कीय सूतल छी यौ ।।
भोला...
खोलू अपन त्रिनेत्र त्रिलोकी
नाथ दिगम्बर जागू ।
द्वारि पे दुखिया कानि रहल
किय कान नै दैछी यौ
भोला....
लेप लगौलौ चिता भस्म तन
उर राजित मुण्ड माल ।
खन बसहा पर साजि खनहि
डमरू बजबै छी यौ ।।
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