|| दिगम्बर नचारी ||
सुनैछी आहाँ नृत्य - ताण्डव नचै छी
अदभुत नाच कोन कयलौ दिगम्बर ।
हमरा ने कहियो देखयलौ ।।
हमहूँ ने जनलौ छलिया अहूँ छी
मुदा सब दिनका तलिया अहूँ छी
सब त वस्त्र पिताम्बर पहिरलनि
आहाँ मृग छाल लपटयलौ दिगम्बर ।
हमरा ने कहियो देखयलौ ।।
जटा सं गंगाक झरना झरैया
भाल पर दुतियाक चन्दा वरैया
अपनों नचैत छलौ , साँपों नचै छल
बुढ़वो वरद के नचयलौ दिगम्बर ।
हमरा ने कहियो देखयलौ ।।
मुण्डक माल उर धरि लपटयलौ
माहुर कंठ धरि खकय पचयलौ
आँक धथुरा भांग चबाकय
आहाँ त्रिलोकी कहयलौ दिगम्बर ।
हमरा ने कहियो देखयलौ ।।
भस्म चिता अंग सगरो लगौलौ
एक हाथ डिम - डिम डमरू बजौलौ
भुत पिशाच सब संगे फने छल
ओकरा कोना क फंसयलौ दिगम्बर ।
हमरा ने कहियो देखयलौ ।।
सबहक वेर अढ़रन ढ़रलिअई
"रमण" सुमन के कीयक बिसरलि अइ
सबटा के छोरि शिव सेवलौ अहाँ के
कनियो आहाँ ने सुधि लेलौ दिगम्बर ।
हमरा ने कहियो देखयलौ ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob- 9997313751
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें