dahej mukt mithila

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मंगलवार, 7 अगस्त 2018

दिगम्बर नचारी ।। हमरा ने कहियो देखयलौ ।। गीतकार - रेवती रमण झा "रमण"

                                                                  ||   दिगम्बर नचारी  ||
                                      
सुनैछी आहाँ नृत्य - ताण्डव नचै छी
अदभुत नाच कोन कयलौ दिगम्बर ।
           हमरा ने कहियो देखयलौ ।।

हमहूँ  ने  जनलौ   छलिया  अहूँ  छी
मुदा  सब  दिनका  तलिया  अहूँ छी

सब  त  वस्त्र  पिताम्बर   पहिरलनि
आहाँ मृग छाल लपटयलौ दिगम्बर ।
            हमरा ने कहियो देखयलौ ।।

जटा    सं   गंगाक    झरना    झरैया
भाल   पर   दुतियाक   चन्दा   वरैया

अपनों नचैत छलौ , साँपों नचै छल
बुढ़वो वरद  के  नचयलौ दिगम्बर ।
         हमरा ने कहियो देखयलौ ।।

मुण्डक  माल   उर   धरि  लपटयलौ
माहुर   कंठ  धरि   खकय   पचयलौ

आँक     धथुरा      भांग     चबाकय
आहाँ त्रिलोकी   कहयलौ  दिगम्बर ।
            हमरा ने कहियो देखयलौ ।।

भस्म   चिता   अंग   सगरो   लगौलौ
एक हाथ डिम - डिम डमरू बजौलौ

भुत  पिशाच   सब   संगे   फने  छल
ओकरा कोना क फंसयलौ दिगम्बर ।
            हमरा ने कहियो देखयलौ ।।

सबहक    वेर    अढ़रन    ढ़रलिअई
"रमण" सुमन के कीयक बिसरलि अइ

सबटा के छोरि शिव सेवलौ अहाँ के
  कनियो आहाँ ने सुधि लेलौ दिगम्बर ।
               हमरा ने कहियो देखयलौ ।।

गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob- 9997313751


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