|| कि आहो रामा झूलत राधा मुरारी ||
की आहो रामा झूला रचल वनवारी
कुञ्जन में भारी ए रामा ।।
गोपी सकल साजितहँ आयो
कनक हिरोला कदम्ब लगायो
कि आहो रामा झूलत राधा मुरारी
कुञ्जन में भारी ए रामा ।।
करत विनोद परस्पर आली
युगल ज्योति श्याम अरु लाली
कि आहो रामा सकल अर्ध नर नारी
कुञ्जन में भारी ए रामा ।।
दूई नयन छवि आजु अनन्ता
सोई अवलो कहुँ केहि विधि सन्ता
कि आहो रामा "रमण" रहल तँह हारी
कुञ्जन में भारी ए रामा ।।.....
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob-9997313751
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