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सोमवार, 30 जुलाई 2018

रमण दोहावली - रेवती रमण झा " रमण "

                                                                  || रमण दोहावली ||
                                       

1. "रमण" समय जब तक भला , तब तक राम रहीम ।
      बुरे  दिनन  का  मधु  बचन , लागे  कड़वा  नीम ।।

2. सदा  हीं  उत्तम   चाहिए   चास   वास  अरु  ग्रास ।
   "रमण" जो तीनो न मिले , तन मन धन का नाश ।।

3. बारी  -  बारी   जग  मुआ  ,  बारी  -  बारी    रोय ।
    अब बारी किसकी भई , " रमण " न जाने कोय ।।

4. "रमण" पला  जब  गाँव में , फिर  आया परदेश ।
     अब  परलोक  सिधारना ,  कौनो  अपना  देश ।।

5. धन  पे  नाचती  तिरिया  ,  नाचत  रूपहिं  यार ।
   " रमण "  ना  कोई  भार्या  ,  ना  कोई  भरतार ।।

6. प्रीतम  पानी  जात  एक , दोनों  प्यास  बुझात ।
   " रमण " राह को ढूँढ के , निडर होय चलि जात ।।

7. एक धरम, जो एकहिं पुरुष , एक ही नारी ठीक ।
    "रमण" पालिहै रीती जो , ज्यों गाडी की लीक ।।

8. नारी  नरक  तो  एक  है , पथ  भ्रष्टा  जो  होय ।
 "रमण" पुरुष एक नारि जँह , अनत स्वर्ग ना कोय ।।

रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob - 9997313751


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