|| बरसाती गीत ||
बरसत बूँद सघन - घन - माला
विरहिन विरह जगाबय ना ।।
लखि-घन श्याम उदित हिय होइछ
जीय भरमावय ना सखी हे जीय..
बरसत......
छिटकत चारु चपल चहुँ दामिनि
असह डेराबय ना सखीहे असह..
बरसत......
यौवन ज्योति नगर - जन ब्यापित
नयन जेमावय ना , सखीहे नयन...
बरसत......
"रमण" कओन अपराधे माधव
मोहि सताबय ना , सखी हे मोहि
बरसत......
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
mob - 9997313751
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