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रविवार, 22 जुलाई 2018

रमण दोहावली ।। रचनाकार - रेवती रमण झा " रमण "

||रमण दोहावली ||


    1. आग  लगी  इस  झोपड़ी , बेसुध  हो  के  सोय ।
     "रमण" जगत बड़ बावला , न जानिहें क्या होय ।।

     2. "रमण"  गया  तो  आयेगा , धुनत  काहे  कपार ।
        परदादा    पोता    भया  ,  रंग - मंच   संसार ।।

    3. तेरा    धरम   कुबेर     है , देवन     का    भंडार ।
      "रमण" धर्म नारी सती , जाहि एकहिं भरतार ।।

    4. सौ   शत्रु   निन्दा  करे , संत  कृपा  एक  जाहि ।
      तारावलि सहस्त्र हो , "रमण" प्रवल शशि ताहि ।।

    5. निन्दा    जो    शत्रु    करे  ,  करे   बड़ाई   संत ।
     "रमण"  पलट  तू  नाहि  रे  ,  होगा  तेरा  अंत ।।

    6. खुद का भला न कर सका , का करिहें भगवान ।
      एक दिन भोग लगाय के , " रमण " न चाकर मान ।।

     7. आँख  मींच  के  करम  कर , मिलिहें  देर - सवेर ।
       उसके   घर   में   देर  है ,  "रमण"   नाहि   अंधेर ।।

     8. कोटि  यतन  कोई   करें , व्रत   पूजा   जप   योग ।
     "रमण"  कर्म  फल  निहित  है ,बांटे  कोइ  न  भोग ।।

रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob - 09997313751


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