मिथिला दर्शन
prof.krishna kumar jha |
आदिकालसँ विद्या-वैभव याज्ञवल्क्य जनकादि ॠषि वर्णन ।
भाव-भक्तिसँ ताकि-हेरिकऽ करारहल छी मिथिला दर्शन ।।
देह विहिन पितासँ उद्भव विदेहमाधव जिनकर नाम ।
मन्थनसँ मिथि जनक यज्ञसँ इक्ष्वाकु तत् पाओल उपनाम ।।
मिथिक बसाओल मिथिला जगत विदित भेल मैथिल नाम ।
जतय अयाची मण्डन मिश्रक महिमण्डित सारस्वत धाम ।।
गङ्गा आउर हिमालय मध्यक तपोभूमि छल मिथिला धाम ।
विदेहमाधव जतय बसाओल धरा-धाम पर सुन्दर गाम ।।
दक्षिण गङ्गा पश्चिम गण्डकि पूव कौसिकी तीभुक्ति महान ।
तुङ्ग हिमालय उतर विराजत सीमा गाओल वेद-पुराण ।।
जगदम्बा तनया शिव सेवक साधकगण सेवित श्रीधाम ।
वैद्यनाथ अवतरल तनय भऽ पिता अयाची शंकर नाम ।।
भाषा मधुर मधुपसँ भाषित कवि-कोकिलसँ कूजित गान ।
वीणा-वादिनि नादित नादक माधव चुम्वित मुरलीक तान ।।
शुक-शारिकाक शास्त्रक चर्चा दर्शन वर्णन भाव समर्पण ।
जय मिथिला जय मैथिली जय मैथिल जय मिथिला दर्शन ।।
कृष्णकुमार झा"अन्वेषक"
सम्पादक मिथिला दर्पण
सम्पर्क—०९५९४०८६८४८
1 टिप्पणी:
जय मिथिला जय मैथिली
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