dahej mukt mithila

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शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

मिथिला दर्शन


मिथिला दर्शन


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prof.krishna kumar jha

आदिकालसँ विद्या-वैभव याज्ञवल्क्य जनकादि ॠषि वर्णन ।
भाव-भक्तिसँ ताकि-हेरिकऽ करारहल छी मिथिला दर्शन ।।

देह विहिन पितासँ उद्भव विदेहमाधव जिनकर नाम ।
मन्थनसँ मिथि जनक यज्ञसँ इक्ष्वाकु तत् पाओल उपनाम ।।

मिथिक बसाओल मिथिला जगत विदित भेल मैथिल नाम ।
जतय अयाची मण्डन मिश्रक महिमण्डित सारस्वत धाम ।।

गङ्गा आउर हिमालय मध्यक तपोभूमि छल मिथिला धाम ।
विदेहमाधव जतय बसाओल धरा-धाम पर सुन्दर गाम ।।

दक्षिण गङ्गा पश्चिम गण्डकि पूव कौसिकी तीभुक्ति महान ।
तुङ्ग हिमालय उतर विराजत सीमा गाओल वेद-पुराण ।।

जगदम्बा तनया शिव सेवक साधकगण सेवित श्रीधाम ।
वैद्यनाथ अवतरल तनय भऽ पिता अयाची शंकर नाम ।।

भाषा मधुर मधुपसँ भाषित कवि-कोकिलसँ कूजित गान ।
वीणा-वादिनि नादित नादक माधव चुम्वित मुरलीक तान ।।

शुक-शारिकाक शास्त्रक चर्चा दर्शन वर्णन भाव समर्पण ।
जय मिथिला जय मैथिली जय मैथिल जय मिथिला दर्शन ।।

                                              कृष्णकुमार झा"अन्वेषक"
                                              सम्पादक मिथिला दर्पण
                                              सम्पर्क—०९५९४०८६८४८
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1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

जय मिथिला जय मैथिली