dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

गजल


अहाँ हमरासँ एना नै रूसल करू
कनी प्रेमक सनेसाकेँ बूझल करू

हमर जिनगीक बाटक छी संगी अहीं
करेजक बाट कखनो नै छोडल करू

बहन्ना फुरसतिक करिते रहलौं अहाँ
अहाँ कखनो तँ हमरो लग बैसल करू

बहुत मारूक अछि नैनक भाषा प्रिये
अपन नैनक कटारी नै भोंकल करू

करेजा हमर फुलवारी प्रेमक बनल
सिनेहक फूल ई सदिखन लोढल करू

अहीं जिनगी, अहीं साँसक डोरी हमर
करेजक आस नै "ओम"क तोडल करू

(मफाईलुन-मफाईलुन-मुस्तफइलुन)- प्रत्येक पाँतिमे एक बेर

कोई टिप्पणी नहीं: