dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

मिथिला महिमा


मिथिला महिमा

krishna kumar jha , pro.kkanveshk . mithiladarpan , mithila , maithili
prof.krishna kumar jha

मैथिलवंशक अमरसुमन यश इतिहासो अछि गावि रहल ।
अपूर्ण पञ्चम बालक शंकर त्रिलोक महिमा गाबि चुकल ।।

सीता सब मैथिल कन्या छथि पिता जनकपद पाबि चुकल ।
जगदम्बा जनकक आँगनमें बेटी बनि छथि आबि चुकल ।।

त्रिभुवनपति जामाता जिनकर सदेह-विदेह पद पाबि चुकल ।
धनुषयज्ञसँ पुरुषपरीक्षा मैथिल गुण-गौरव पावि रहल ।।

अज्ञानक आकर जग निसृत ज्ञानसुधा छथि पाबि चुकल ।
जगदम्बा उच्चैठ बसलि छथि कालीदासक माय बनलि ।।

शिवशक्ति कोमलकान्ति पदावलि कविकोकिल छथि गाबि चुकल ।
भक्तकवश त्रिभुनपति उगना सेवक बनि छथि आबि चुकल ।।

याज्ञवल्क्य मण्डन वाचस्पतिक मातृत्व मिथिला पाबि चुकल ।
गौतम गङ्गेश भट्टकुमारिल अवतार धरापर पाबि चुकल ।।

गङ्ङा गण्डकि कोसी ओ लक्षमणा जगत विदित बुवि भाबि रहल ।
कमला त्रियुगा अमृता ओ घेमुडा जगबागमती यश गाबि रहल ।।

जय मिथिला मैथिल मैथिली महिमा बनिकऽ आबि चुकल ।
अष्टम अनुसूचिक भाषा बनि मानक गौरव पाबि चुकल ।।

                                              कृष्णकुमार झा"अन्वेषक"
                                              सम्पादक मिथिला दर्पण
                                              सम्पर्क--०९५९४०८६८४८
                                               www.mithiladarpanonline.in

कोई टिप्पणी नहीं: