dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

चंदा मामा दूर के


गद्य भाग - चंदा मामा दूर के ,
पूरी पकाए गुर केअपने खाए थारी में ……………!
कोनो नया मुहाबरा नई अछि, मुदा एकर अर्थो कुछि आब जिनगी में बांचल नई रहल ……नेना सबके बहकाब फुस्लाब छोईर !
कियाक ठ्कैथ छिये बचबा के, हमरो ठकने रहा बच्चा में सब मिल , नईनई बच्चा सभके चुप करबके रामबाण इलाज छई…….., के कहलक आन्हाके की अनुभव अछि ….अंजाद नै अछि ठीक -ठीकशायद दुनु सकैत अछि ! मुदा चंदा मामा कहिया चंद्रमा गेल बुझल नई अछि , शायद नमहर गेलोऊ हम , नई वैज्ञानिक दृष्टिकोण के दोष छई …!

जहिया सँ बुझलिये जे चंदा मामा एगो गृह छै तहिया सँ रिश्ता तुइट गेल मामा भगिना के ….! चौरचन के दिन जे हृदय कोण में कनी सृधा बांचल रहैत अछि  उमैर अबैया ! वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तर्क सँ...........


बहुत व्यक्ति के आस्था सेहो डगमगाईत देखलियेआ जिनगी में
भौतिक ज्ञान सँ मोन में जोर -घटा चल लागैत छै ……कुछी सेष बंचला पर दौर गेलोहू मंदिर दिस नई भैर जिनगी टाइम रहितो सबहक पास टाइम के अभाव होईछै…………!
आईयो उवाह चाँद छिएक मुदा ओईइमे कोनो बुढ़िया चरखा चलबैत नजेईर नई आबीरहल अछि ! बौवा के खेल्बैत रही ….ऐना ता अनचीन्हार के कोरा में नई जायत , जावेत तक चंदा मामा के रेफेरेंस नई देबई
चांदनी के शीतल शांति परिवेश में बैअस्ल रही छत पर वास्तविकता सँ दूर ……….कने दू -चाईर डेग आगा बढेने रही ……….तखने लागल जे पंछां सँ कियो टिक पकैर झिक देलक ……..
सुनैत छिए…………नीचा आऊ (कनियाँ सोपारलक )
लागल जे कियो चंद्रलोक सँ म्र्तुलोक में बजा रहल अछि …….मोनक तराजू पर बटखरा राखी देलक कियो ….डग्म्गागेल कनी काल लेल एक्बाग.मोन !
असलियत जनला केबाद कतेक चीज सँ लोक के नाता तुइट जाई छै …..कुछी सजीव सँ कुछी निर्जीव सँ ……., कतेक ज्ञानवस् कतेक अज्ञानतावस् ………, समय पर जरूरत परला पर कमी खलई छै !
ज्ञान कोण काजक जेकरा जैनों आदमी जिनगी भिअर अज्ञानी बनल रहित अछि , मोन में अंतर्धव्न्ध रहित छि भएर जीवन , सही गलत के फैसला लेब में असमर्थ रहित अछि !
सभ कहैत छै जे बच्चा के भगवान देखाई दैत छै ….किया
हम बच्चा नई बैन सकैत छि ……..मुदा बचपना ता रैख सकैत छिकखनो काल अज्ञानी बनबो में बहुत बरका फायदा होई छै खाली सामंजस्य स्थापित करक कला एबाक चाही , नहीं समाजक दृष्टी बदैल जायत आन्हा प्रति शायद निक बुझत की ख़राब कही नई सकैत छि दृष्टी व्यवहारक बात छिएक !
मुदा समय के साथ फायदा हयात निश्चित अछि
समय के अनुसार चलबा में नफ्फा छैक , चंदा मामा रहैथ की चंद्रमा की फरक परैत छै ! छिए एकैगो !
नविन कुमार ठाकुर