dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

डोरा डोरी





कनिया काकी केर सेहत अहि बेर बर दब लागैत छलैक .  ओना हुनक उम्र सेहो लगभग ८५ पार क चुकल अछि . कनियता काकी जखन सुनलथीं जे की सिमरिया में अर्ध कुम्भ लागी रहल अछि त ओ एक्के थाम जीद कराय लागली जी की किछु  होयत हम कुम्ब जेबे करब . हुनकर बेटा सब केर कथन छल जे की आहा कोनो कुम्भ नहीं नहोना छि , तहियो कनिया काकी अपन सेहत केर परवाह नहीं कैलैन आ सिमरिया कुम्भ मे चली गेली .

कुम्भ स वापस एलाक बाद हुनक सेहत पहिनाहू स बदतर भ  गेल , कनिया काकी केर दम्मा केर बीमारी सेहो छलैन मुदा बीडी पीने ओ कहियो बंद नहीं कैलैन .
कहियो काल केर हम कनिया काकी स पूछी दियैक ?
जखन डॉक्टर मन करैत अछि तखन किअक पिबैत छि , मरबाक डर नहीं होइत अछि ?
ओ हमरा कहैत " रौ बोतला केर सार , आब हम जिब केर की करब . बुढ़ारी मे कोनो गंजन करेबाक अछि .

कनिया काकी केर दूत संतान छल एक टा कैलाश आ दोसर नवल .
कैलाश गाम मे रही छोट छीन धंदा करैत छलाह  आ नवल देलहि मे कोनो कंपनी मे कार्यत अछि .

कनिया काकी केर किछु दीन पूरब अपन छोटकी पुतहु स अनबन भ गेल छलैन .
कनिया काकी सोछैत छलीह जे की पुतःह अहि बेर देलहि स अओती त ओकरा समझा बुझा का माफ़ी मांगी लेब आ कहबैक एहन रुसल जुनी करू .

मुदा कनिया काकी केर छोटकी पुतहु गाम त एलेन मुदा ससुर नहीं बल्कि अपन नहिरा . ओही थाम भातिज केर उपनयन छल .

कनिया काकी केर पूर्ण विश्वाश छल जे की किछु होई घुरैत काल ओ कनिया गाम अवस्य अओती . कनिया काकी एक टा मोटरी तैयार केने छलीह जे की छोट की पुतहु केर जैत कला देबैन .

मुदा है रे आजुक मैथिलानी . है रे हुनक स्वाभिमान घूरती टिकेट बनौलें आ बिनु  कनिया काकी केर भेट केने बीड़ा भ गेलीह .

कनिया काकी  केर जखन इ ज्ञात भेल त ओ किनको स किछु नहीं कहलक आ चुप-चाप बिनु रातुका भोजन केने अपन कोथिली मे सूती रहली .
कनिया काकी एहेन सुत्लिः जे की पुनः कहियो नहीं उथली .

मरलाक उपरान्त ओ कनिया जखन घुरी अपन ससुर आय्लिः त एक टा बूढी कहल   कैन जे किछु होई मुदा छोटकी कनिया आहा गंगा जली केर मरी देलियैक .

श्राद्ध केर उपरान्त जखन ओही मोटरी केर खोलल गेल जे की कनिया काकी अप्पन पुतहु लेल राख्ने छलीह त ओही म स २ त डोरा-डोरी , बधी आ आमक अछर छल ,


1 टिप्पणी:

रविकर ने कहा…

बहुत बहुत बधाई ।

मंगल कामनाएं ।