dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

फहराइयै पताका

देखू मिथिला नगर के फहराइयै पताका
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

जतक नारी जानकी श्रीराम केर भामिनी
जतक सभ्य संस्कृति के गाबै छथि रागिनी
ई नगरी अपन छोट नगरी जुनि बुझू
अछि सगरो जगत में मचौने धमाका
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

हल्ली-मदन-वाचस्पति के ख्याति छन्हि
विद्यापतिक गीत सब गुनगुनाइत छन्हि
परमज्ञानी सत्यदेव ज्योतिष के ज्ञाता
मिथिला कहल जाईछ संपन्न गुणवाला
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

कोइली कुहुकि स्वर पंचम में गाबय
झमझम बरसि मेघ कजरी सुनाबय
भोरे पराती गाबैइयै सुग्गा
परवा स' सजय रोज मंदिर-शिवाला
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

नीपल जाईछ पीढ़ी गोसाऊनिक नित रोजे
पूजा के शंखनाद कोश-कोश गूजे
घर-घर में शालिग्राम, तुलसी के चौरा
घोघ तर में नारी लागय सीता आ राधा
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

तुलसिक पनिसल्ला में कूश आ डाबा
नाग पूजल जाइछ ल' क' दूध संग लाबा
पातैर में भोग लागय आम-खीर-पूरी
जगदम्बाक कृपा स' हटल रहय विघ्न बाधा
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

यश-कीर्ति-वैभव स' परिपूर्ण मिथिलांचल
जनक जीक न्याय के देवतो सब मानल
"मनीषक" अछि कामना जे बढ़ू सब आँगाँ
मैथिलक विचार उच्च, जीवन होइछ सादा
जत' बाँचल अछि एखनहु धरि मान ओ मर्यादा

मनीष झा "बौआभाई"

कोई टिप्पणी नहीं: