मिथिलाक गाम घर :
जाहि ठाम सीता केर अछि गाम ,
जिनकर पाहून छैथ राम .
ओही नगरी केर भैया ,
अछि पावन मिथिला नाम .
मंडण - याची केर जतय अछि दलान यौ ,
विद्यापति केर आँगन देखू एलाह भगवान् यौ .
हुनकर उगना अछि नाम , करियौ हुनका सव प्रणाम .
ओही नगरी केर भैया ,
अछि पावन मिथिला नाम .
कमला कोसी बहई , जतय बलान यौ ,
सव दिन करी हम ओतय अस्नान यौ ,
सदिखन जपी सीता-राम , कर जोरी करै छि प्रणाम ,
ओही नगरी केर भैया ,
अछि पावन मिथिला नाम .
जाहि ठाम सीता केर अछि गाम ,
जिनकर पाहून छैथ राम .
ओही नगरी केर भैया ,
अछि पावन मिथिला नाम .
मंडण - याची केर जतय अछि दलान यौ ,
विद्यापति केर आँगन देखू एलाह भगवान् यौ .
हुनकर उगना अछि नाम , करियौ हुनका सव प्रणाम .
ओही नगरी केर भैया ,
अछि पावन मिथिला नाम .
कमला कोसी बहई , जतय बलान यौ ,
सव दिन करी हम ओतय अस्नान यौ ,
सदिखन जपी सीता-राम , कर जोरी करै छि प्रणाम ,
ओही नगरी केर भैया ,
अछि पावन मिथिला नाम .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें