dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

राईत दिन हम अहींक सुरता पिया कएने छि
दूर रहिक हमरा सं हमरा किया सतएने छि

कमला कोशी लेलक उफान मारैय हमर जान
बनी कें अन्जान पिया हमर जिया तरसएने छि

प्रेम परिणय आलिंगन लेल जी हमर तरसैय
प्रेम मिलन ओ मधुर इआद सं हिया जुडएने छि

दिन गनैत बितैय दिन कोना जियव अहाँ विन
दिल के दिया में नोरक तेल सं दिया जरएने छि

सजी देखैछि ऐना सावन भादव बरसैय नैना
अहाँ विन जागी जागी "प्रभात"रतिया वितएने छि
................वर्ण-१९..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: