dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 11 जनवरी 2012

गजल


जिनगीक गीत अहाँ सदिखन गाबैत रहू।
एहिना इ राग अहाँ अपन सुनाबैत रहू।

ककरो कहै सँ कहाँ सरगम रूकै कखनो,
कहियो कियो सुनबे करत बजाबैत रहू।

खनकैत पायल रातिक तडपाबै हमरा,
हम मोन मारि कते दिन धरि दाबैत रहू।

हमरा कहै छथि जे फुरसति नै भेंटल यौ,
घर नै, अहाँ कखनो सपनहुँ आबैत रहू।

सुनियौ कहै इ करेजक दहकै भाव कनी,
कखनो त' नैन सँ देखि हिय जुराबैत रहू।
------------- वर्ण १७ ---------------

2 टिप्‍पणियां:

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति .कृपया इन आंचलिक ग़ज़लों को और ज्यादा सराहनीय अपठनीय बनाने के लिए हिंदी अनुवाद मुहैया करवाएं .वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा ,४ सी ,अनुराधा ,नोफ्रा ,कोलाबा ,मुंबई -४००-००५ ,०९३५०९८६६८५ /०९६१९०२२९१४ ).

MADAN KUMAR THAKUR ने कहा…
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