ढाढस बन्ही सुतल छि हमहूं,
ओढ़ी चादर गरदेन मस्लंग,
आ गप के बेरा उठालौ हमहूं
द क गोली पिसुवा भंग.
ज्ञानी छि नै ककरो स कम,
नै बुझी हम दोसरक ढंग,
हम बुधियरबा हमरा की कहब,
हमारा स काबिल अई आहा के संग?
सुनु सिर्फ जे हमही कही,
नै त क देब आहा के तंग,
आ दल बना क रखने छि हम,
करय लेल बस आहा स जंग.
आहा कोना करब जखन नै,
पार लागल कायल हमरा संग,
आ कोशिश करब त चिन्ह लिया जै,
हम बक्थोथर केहन दबंग.
नई किछु करब नई करा देब,
इ अईछ हमर अपन रंग,
आहा के आगा कोना बढ़ दी,
जिनगी बीतल नेता के संग.
रचना:-
पंकज झा
1 टिप्पणी:
bhai ee murkhahaba bhai ke rachana chhapawak lel sneh aa ashirbad
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