dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट

                   गजल
अहां एना नए करू दिल बहकतै हमर
फेर अहां विनु कोना दिल सम्हरतै हमर 

अहांक संगही रहब हम जन्म जन्म तक
पिया अहां विनु कोना दिल धरकतै हमर 

रस भरल अंग अंगमें चढ़ल जोवनके
रसपान विनु कोना दिल चहकतै हमर 

नीसा लागल अछि बलम हमरो मिलनके
अहां विनु कोना प्रेमनीसा उतरतै हमर 

जे नीसा अहांक अधरमें ओ मदिरा में कहाँ
फेर पिने विनु कोना नीसा उतरतै हमर 

पिया पीब लिय पिला दिय जोवन रस जाम
पी विनु ठोरक प्याला कोना छलकतै हमर 
...............वर्ण-१७ ............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: